Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत में करें इस चालीसा का पाठ, जीवन में बनी रहेगी सुख-शांति
जितिया व्रत (Jitiya Vrat 2025) बहुत फलदायी माना जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं। यह तीन दिनों तक चलता ह ...और पढ़ें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं। इस कठिन व्रत का पालन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए रखती हैं। यह व्रत (Jitiya Vrat 2025) तीन दिनों तक चलता है। इस दौरान, माताएं भगवान जीमूतवाहन और देवी जीविता की पूजा करती हैं।
जितिया व्रत में पूजा-पाठ के दौरान जीवित्पुत्रिका चालीसा का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। इस चालीसा का पाठ करने से व्रत का पूरा फल मिलता है और संतान के जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां दूर होती हैं।
(10)(5).jpg)
।।जीवित्पुत्रिका चालीसा।।
।।दोहा।।
जय जय जीमूतवाहन, जय जय जीवित्पुत्रिका।
मात-पिता की रक्षा करो, हर लो दुःख दरिद्रता।।
।।चौपाई।।
अश्विन मास कृष्ण पक्ष अष्टमी, नाम तुम्हारा जीवित्पुत्रिका।
सुख-शांति तुम दो माता, तुम बिन नहीं कोई सहारा।।
पुत्र की रक्षा करो माता, तुम तो हो जग पालनहारा।
पूत-सुपूत बनाओ माता, सुख-शांति तुम देना।।
कथा सुनी जब जीमूतवाहन की, दुख की घड़ी में तुम याद आई।
तुमने पुत्र को दिया जीवन, तुम्हारी कृपा सदा बनी रहे।।
जय जय माता तुम सबकी, हर लो हर संकट तुम हमारी।
बाल-बाल को रखो सुरक्षित, तुम्हारी महिमा सबसे न्यारी।।
जो जन चालीसा ये पढ़े, हर इच्छा उसकी पूरी हो।
मात-पिता को सुख-शांति मिले, और घर में धन-संपदा हो।।
पुत्र की रक्षा तुम ही करती, तुम तो जग की पालनहारी।
तुम्हारी दया से सब कुछ मिले, तुम सबकी हो पालनहारी।।
।।दोहा।।
जीवित्पुत्रिका माता, कृपा करो सब पर।
संतान को सुखी रखो, और दूर करो हर संकट।।
।।शिव रक्षा स्तोत्र।।
ॐ अस्य श्री शिवरक्षास्तोत्रमंत्रस्य याज्ञवल्क्यऋषिः,
श्री सदाशिवो देवता, अनुष्टुपछन्दः श्री सदाशिवप्रीत्यर्थं शिव रक्षा स्तोत्रजपे विनियोगः।
चरितम् देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् ।
अपारम् परमोदारम् चतुर्वर्गस्य साधनम् ।
गौरी विनायाकोपेतम् पंचवक्त्रं त्रिनेत्रकम् ।
शिवम् ध्यात्वा दशभुजम् शिवरक्षां पठेन्नरः।
गंगाधरः शिरः पातु भालमर्धेन्दु शेखरः।
नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषणः ।
घ्राणं पातु पुरारातिर्मुखं पातु जगत्पतिः ।
जिह्वां वागीश्वरः पातु कन्धरां शितिकन्धरः ।
श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः ।
भुजौ भूभार संहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ।
हृदयं शङ्करः पातु जठरं गिरिजापतिः।
नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्रजिनाम्बरः ।
सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागत वत्सलः।
उरु महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः ।
जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः ।
चरणौ करुणासिन्धुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः ।
एताम् शिवबलोपेताम् रक्षां यः सुकृती पठेत्।
स भुक्त्वा सकलान् कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्।
गृहभूत पिशाचाश्चाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।
दूराद् आशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्।
अभयम् कर नामेदं कवचं पार्वतीपतेः ।
भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम् ।
इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽदिशत् ।
प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यस्तथाऽलिखत् ।
यह भी पढ़ें- Jitiya 2025 Date: 14 सितंबर, रविवार को जितिया... जीवित्पुत्रिका व्रत का नहाए खाए से पारण तक यहां देखें शुभ मुहूर्त
यह भी पढ़ें- Jitiya Vrat 2025 Date: 14 या 15 सितंबर, कब किया जाएगा जितिया व्रत? यहां पढ़ें सही तिथि और पूजा का समय
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।