Jitiya Vrat 2025 Date: 14 या 15 सितंबर, कब किया जाएगा जितिया व्रत? यहां पढ़ें सही तिथि और पूजा का समय
वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जितिया व्रत (Jitiya Vrat 2025) किया जाता है। सनातन धर्म में इस व्रत को शुभ माना जाता है। इस व्रत को संतान प्राप्ति और उनकी लंबी आयु के लिए किया जाता है। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं कि अश्विन माह में कब किया जाएगा जितिया व्रत।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल अश्विन माह में जितिया पर्व (Jitiya Vrat 2025) बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन जीमूतवाहन की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान से जुड़ी सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है और संतान को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही संतान के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
जितिया व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Jitiya Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार 14 सितंबर को जितिया व्रत किया जाएगा।
अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत- 14 सितंबर को सुबह 05 बजकर 04 मिनट पर
अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन- 15 सितंबर को देर रात 03 बजकर 06 मिनट पर
जितिया व्रत पूजा विधि (Jitiya Vrat Puja Vidhi)
- जितिया व्रत के दिन की शुरुआत प्रभु के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े धारण करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- मंदिर की सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
- चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान जीमूतवाहन की प्रतिमा को विराजमान करें।
- देसी घी का दीपक जलाकर भगवान जीमूतवाहन की आरती करें।
- व्रत कथा का पाठ करें।
- मंत्रों का जप करें।
- फल और मिठाई का भोग लगएं।
- संतान प्राप्ति के लिए कामना करें।
- लोगों में विशेष चीजों का दान करें।
इन बातों का रखें ध्यान (Jitiya Vrat Niyam)
- जितिया व्रत के दिन किसी से वाद-विवाद न करें।
- भूलकर भी काले रंग के कपड़े धारण न करें।
- किसी के बारे में गलत न सोचें।
- घर और मंदिर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।
- विशेष चीजों का दान करें। माना जाता है कि इस दिन दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं और इंसान को जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है।
- तामसिक भोजन का सेवन न करें।
इन चीजों का करें दान (Jitiya Vrat Daan)
जितिया व्रत के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद मंदिर या गरीब लोगों में धन, अन्न, कपड़े, काले तिल समेत आदि चीजों का दान करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन चीजों का दान करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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