Janmashtami 2023: जानें, क्यों बर्बरीक का नाम पड़ा 'खाटू श्याम' और क्या है इसकी कथा?
Janmashtami 2023 इतिहासकारों की मानें तो खाटू श्याम मंदिर सदियों पुराना है। स्थानीय लोगों में खाटू श्याम जी के प्रति अगाध श्रद्धा है। इसके अलावा देश-विदेश से भी श्रद्धालु बाबा के दर्शन हेतु खाटू श्याम आते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से जो साधक बाबा के दरबार में अपनी मुराद मांगता है। उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Janmashtami 2023: राजस्थान के सीकर जिले में विश्व विख्यात खाटू श्याम मंदिर है। इतिहासकारों की मानें तो यह मंदिर सदियों पुराना है। इस मंदिर में 'खाटू श्याम जी' की पूजा-उपासना की जाती है। स्थानीय लोगों में 'खाटू श्याम जी' के प्रति अगाध श्रद्धा है। इसके अलावा, देश-विदेश से भी श्रद्धालु बाबा के दर्शन हेतु खाटू श्याम आते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से जो साधक बाबा के दरबार में अपनी मुराद मांगता है। उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि राजस्थान के सीकर जिले में स्थित श्याम जी को खाटू श्याम क्यों कहा जाता है ? आइए, पौराणिक कथा जानते हैं-
कथा
सनातन शास्त्रों में निहित है कि महाभारत युद्ध के दौरान भीम के पौत्र बर्बरीक ने कौरवों का साथ दिया। आसान शब्दों में कहें तो बर्बरीक ने कौरवों की सहायता कर पांडवों से युद्ध करने की बात की। यह सुन भगवान श्रीकृष्ण एक पल के लिए सोच में पड़ गए। उन्हें लगा कि अगर महान योद्धा बर्बरीक, कौरवों का साथ देंगे, तो पांडवों के लिए जीत मुश्किल हो सकती है। अतः किसी न किसी प्रकार से बर्बरीक को ऐसा करने से रोकना पड़ेगा।
तत्कालीन समय में बर्बरीक सबसे बड़े धनुर्धर थे। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के बाद सबसे बड़े धनुर्धर में बर्बरीक का नाम आता था। यह सोच प्रातः काल में भगवान श्रीकृष्ण ब्राह्मण वेश में दान लेने बर्बरीक के पास जा पहुंचें। बर्बरीक ने ब्राह्मण का खूब आदर सत्कार किया। इसके पश्चात, आने का औचित्य पूछा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा-दान हेतु आपके पास आया हूं। आपकी ख्याति न केवल पृथ्वी लोक में, बल्कि अन्य लोकों में भी है। उस समय बर्बरीक ने दान मांगने को कहा।
भगवान श्रीकृष्ण धीरे से बोले-अगर मैंने कुछ मांग लिया और आप न दें पाएं, तो ? यह सुन बर्बरीक ने कहा-आप दान मांगे। आप यहां से खाली हाथ नहीं लौटेंगे। भगवान श्रीकृष्ण इसी वक्त के इंतजार में थे। उसी समय भगवान ने बर्बरीक से उनका शीश मांग लिया। बर्बरीक एक पल के लिए सहम गए, लेकिन धर्म कर्तव्य का पालन कर तत्काल अपना शीश प्रभु को समर्पित कर गए। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को खाटू श्याम नाम दिया और कहा-कलयुग में आप मेरे नाम से पूजे जाएंगे। कहा जाता है कि जिस जगह पर बर्बरीक का शीश रखा गया। उस जगह पर आज भी खाटू श्याम जी विराजते हैं। कालांतर से खाटू श्याम जी की पूजा की जाती है।
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