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    Janeu Sanskar: जानिए क्यों किया जाता है जनेऊ संस्कार, जानिए धारण करने की विधि और धार्मिक महत्व

    By Shivani SinghEdited By: Shivani Singh
    Updated: Thu, 26 Jan 2023 10:26 AM (IST)

    Janeu Sanskar हिंदू धर्म में जनेऊ संस्कार का विशेष महत्व है। इसे 24 संस्कारों में से एक माना जाता है। जनेऊ संस्कार 10 साल से कम उम्र के बच्चे का किया जाता है। जानिए जनेऊ संस्कार कैसे किया जाता है और इसका महत्व।

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    जानिए क्यों किया जाता है जनेऊ संस्कार, जानिए धारण करने की विधि और धार्मिक महत्व

    नई दिल्ली, Janeu Sanskar: जनेऊ, यज्ञोपवीत को हिंदू धर्म का विशेष संस्कार माना जाता है। इसे धारण करने की परंपरा सदियों से यूँ ही चली आ रही है। इसे उपनयन संस्कार कहा जाता है। उपनयन का अर्थ है पास या सन्निकट ले जाना यानी ईश्वर और ज्ञान के पास ले जाना। पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास के अध्यक्ष डॉ राकेश मिश्र सनातन परंपरा के 24 संस्कारों में ‘उपनयन’ संस्कार का बहुत महत्व है। यह संस्कार अमूमन 10 साल से कम उम्र के बालकों का करवाया जाता है। जानिए कैसे कराया जाता है यज्ञोपवीत संस्कार और इसका धार्मिक महत्व।

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    कैसे कराया जाता है यज्ञोपवीत संस्कार

    यज्ञोपवीत संस्कार प्रारम्भ करने के पूर्व यज्ञोपवीत होने वाले का मुंडन करवाया जाता है। संस्कार के मुहूर्त के दिन स्नान करवाकर उसके सिर और शरीर पर चंदन केसर का लेप करते हैं और जनेऊ पहनाकर ब्रह्मचारी बनाते हैं। फिर हवन करते हैं। विधिपूर्वक गणेश आदि देवताओं का पूजन, यज्ञवेदी एवं बालक को अधोवस्त्र के साथ माला पहनाकर बैठाया जाता है। इसके बाद दस बार गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित करके देवताओं के आह्वान के साथ उससे शास्त्र शिक्षा और व्रतों के पालन का वचन लिया जाता है। गुरु मंत्र सुनाकर कहता है कि आज से तू अब ब्राह्मण हुआ अर्थात ब्रह्म (सिर्फ ईश्वर को मानने वाला) को माने वाला हुआ। इसके बाद मृगचर्म ओढ़कर मुंज (मेखला) का कंदोरा बांधते हैं और एक दंड हाथ में दे देते हैं। तत्पश्चात्‌ वह बालक उपस्थित लोगों से भिक्षा मांगता है। यह कार्यक्रम माघ मेला परिसर में संत महंतों की उपस्थिति में होगा।

    जनेऊ धारण करने का आध्यात्मिक महत्व

    तीन धागे वाले जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति को आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। जनेऊ के तीन धागे को देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतीक माना जाता है। इसे सत्व, रज और तम और तीन आश्रमों का भी प्रतीक माना जाता है। विवाहित व्यक्ति या फिर कहें गृहस्थ व्यक्ति के लिए छह धागों वाला जनेऊ होता है। इन छह धागों में से तीन धागे स्वयं के और तीन धागे पत्नी के लिए माने जाते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक या मांगलिक कार्य आदि करने के पूर्व जनेऊ धारण करना जरूरी है। बगैर जनेऊ के किसी भी हिंदू व्यक्ति का विवाह संस्कार नहीं होता है।

    Pic Credit- Freepik

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।