Jagannath Rath Yatra 2025: भगवान जगन्नाथ को इस खास वजह से लगता है कड़वे नीम का भोग?
जगन्नाथ रथ यात्रा का शास्त्रों में विशेष महत्व है। यह हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। इस यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। यह भगवान जगन्नाथ को समर्पित है तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पुरी जगन्नाथ की रथ यात्रा हिंदू धर्म की सबसे भव्य और महत्वपूर्ण यात्रा मानी जाती है। हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इस साल यह शुभ यात्रा 27 जून, 2025 को शुरू होगी। इस यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) से जुड़ी कई परंपराएं हैं, जिनमें से एक भगवान जगन्नाथ को कड़वे नीम का भोग लगाना भी है, तो आइए इसके पीछे की वजह जानते हैं, जो इस प्रकार है।
क्यों लगता है नीम का भोग? (Why Lord Jagannath Receives Bitter Neem)
भगवान जगन्नाथ को नीम का कड़वा भोग लगाने के पीछे एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि पुरी के राजा भगवान जगन्नाथ को प्रतिदिन 56 प्रकार के भोग लगाते थे। एक दिन एक बूढ़ी भक्त भगवान जगन्नाथ के लिए प्रेमपूर्वक नीम का चूर्ण लेकर आई। ताकि तरह-तरह के भोग ग्रहण करने के बाद उनकी तबियत खराब न हो, लेकिन मंदिर के द्वारपालों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया।
उसी रात भगवान जगन्नाथ राजा के सपने में आए और उन्होंने राजा से कहा कि ''उनकी एक भक्त बड़े प्यार से नीम का चूर्ण लाई थीं, लेकिन द्वारपालों ने उन्हें रोक दिया। भगवान ने राजा को अगले दिन स्वयं उस माता के घर जाकर उसी नीम के चूर्ण को बनाने और उन्हें भोग लगाने का आदेश दिया।''
राजा ने अगले दिन वैसा ही किया। वह स्वयं उस भक्त के घर गए और उन्हें दोबारा नीम का चूर्ण बनाने को कहा। बूढ़ी मां ने अपने 'बेटे' जगन्नाथ के लिए बड़े प्यार से वह कड़वा चूर्ण तैयार किया और राजा ने उसे भगवान को अर्पित किया। वहीं, भगवान जगन्नाथ ने वह कड़वा नीम का भोग तुरंत स्वीकार किया। तब से, यह नीम के चूर्ण का भोग लगाने की परंपरा चली आ रही है, जिसका लोग आज भी पालन करते हैं।
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