Jagannath Rath Yatra 2025: क्यों भगवान जगन्नाथ को लगाते हैं मालपुए का भोग? जानें महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है जो हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को मनाई जाती है। इस नौ दिवसीय यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) में भगवान जगन्नाथ को मालपुआ का विशेष भोग लगाया जाता है जो उन्हें बहुत प्रिय है। यह मालपुआ भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इसे भगवान को अर्पित करने से उनकी रथ यात्रा मंगलमय होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा भारत के सबसे भव्य और महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है। यह पर्व हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इस नौ दिवसीय यात्रा के दौरान (Jagannath Rath Yatra 2025) भगवान को तरह-तरह के भोग लगाए जाते हैं, जिनमें मालपुआ का विशेष स्थान है, तो आइए इसके पीछे का रहस्य जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।
मालपुए का भोग क्यों महत्वपूर्ण है? (Why Malpua Is Offered To Jagannath)
भगवान जगन्नाथ को मालपुआ बहुत ज्यादा प्रिय है, और यह परंपरा दशकों पुरानी है। रथ यात्रा के दिन, जब भगवान अपने भाई-बहन के साथ रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं, तो उन्हें विशेष रूप से मालपुए का भोग लगाया जाता है। यह मालपुआ केवल रथ यात्रा के दिन ही बनाया जाता है और भगवान को अर्पित करने के बाद भक्तों में बांटा जाता है।
खास बात यह है कि भगवान जगन्नाथ के लिए ये विशेष मालपुए छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले से लाकर चढ़ाए जाते हैं।
मालपुए भोग का धार्मिक महत्व (Malpua Bhog Lord Jagannath)
- मालपुआ भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
- हिंदू धर्म में मालपुआ को समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है, किसी भी शुभ काम या त्योहार पर मालपुआ बनाना चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि मालपुए का भोग भगवान के मन को खुश करता है और उनकी रथ यात्रा मंगलमय होती है। यह यात्रा एक लंबी और महत्वपूर्ण यात्रा है, और इस दौरान भगवान को उनका पसंदीदा भोजन जरूर चढ़ाना चाहिए।
- भगवान और भक्तों के बीच का संबंध बहुत गहरा है।
- मालपुआ जैसी पारंपरिक और घर में बनी मिठाई का भोग लगाने से रिश्तों में मधुरता आती है।
- भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि परंपरा, प्रेम और भक्ति का एक साक्षात उदाहरण है। मालपुए का भोग इस यात्रा का एक अभिन्न अंग है, जो भक्तों की श्रद्धा और भगवान के प्रति उनके गहरे प्रेम को दर्शाता है।
- इस प्रसाद को पाने के लिए भक्त घंटों भीड़ में खड़े रहते हैं, यह सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि भगवान का आशीर्वाद है।
यह भी पढ़ें: Tarot Card Reading: सोमवार के दिन करें ये खास उपाय, जानिए टैरो विशेषज्ञ की सलाह
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।