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    Jagannath Rath Yatra 2025: भगवान जगन्नाथ ने क्यों लिया था गजानन रूप? बेहद रोचक है वजह

    Updated: Mon, 23 Jun 2025 03:02 PM (IST)

    पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) से पहले भगवान जगन्नाथ ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भव्य स्नान के बाद 'गजानन वेश' धारण करते हैं। यह तब होता है जब उन्हें बुखार आता है, जिसे 'अनासार काल' कहते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, उन्होंने गणेश भक्त गणपति भट्ट को गणेश रूप में दर्शन देने के लिए यह वेश धारण किया था। इस वेश के बाद वे 15 दिन एकांतवास में रहते हैं, फिर रथ यात्रा के लिए निकलते हैं।

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    Jagannath Rath Yatra 2025: गजानन वेश का धार्मिक महत्व।


    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पुरी में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस भव्य यात्रा में भगवान जगन्नाथ, अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देते हुए अपने मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर जाते हैं। वहीं, क्या आप जानते हैं कि रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) से पहले भगवान जगन्नाथ ने एक बेहद खास 'गजानन वेश' लिया था? उनकी इस अनोखी लीला के पीछे एक बेहद रोचक पौराणिक कथा भी है, तो आइए उसे जानते हैं।

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    Jagannath Rath Yatra 2025 gajanan roop 1

    कब और क्यों धारण किया गजानन वेश?

    जगन्नाथ रथ यात्रा से ठीक पहले ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ को भव्य स्नान कराया जाता है। यह स्नान इतना विशाल होता है कि इसके बाद जगन्नाथ बाबा को बुखार आ जाता है। इस समय को 'अनासार काल' या 'अनवसर काल' कहा जाता है, जो लगभग 15 दिनों तक चलता है। इसी अनासार काल के दौरान स्नान पूर्णिमा के दिन,भगवान जगन्नाथ गजानन वेश (When And Why Did He Wear The Disguise Of Gajanan?) में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।

    गजानन वेश की वजह?

    वहीं, इस गजानन वेश के पीछे एक कथा भी प्रचलित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाराष्ट्र से एक गणेश भक्त, जिनका नाम गणपति भट्ट था वे पुरी धाम की यात्रा पर आए थे। वह भगवान गणेश के बहुत बड़े भक्त थे और उनकी प्रबल इच्छा थी कि उन्हें अपने आराध्य गणेश जी के दर्शन हों। जब वह पुरी पहुंचे, तो उन्हें गणेश जी का कोई मंदिर नहीं मिला, जिससे वे काफी निराश हुए।

    उनकी भक्ति से खुश होकर भगवान जगन्नाथ ने उन्हें स्वयं गणेश जी के रूप में दर्शन देने का निश्चय किया। स्नान पूर्णिमा के दिन, जब गणपति भट्ट मंदिर में थे, भगवान जगन्नाथ ने गजानन वेश धारण कर उन्हें दर्शन दिए। भगवान जगन्नाथ के इस अद्भुत रूप को देखकर गणपति भट्ट बहुत ज्यादा खुश हो गए और उनकी सारी निराशा दूर हो गई।

    गजानन वेश का धार्मिक महत्व

    यह लीला भगवान जगन्नाथ की भक्त के प्रति अपार प्रेम को दिखाती है। इसके साथ ही इससे ये भी पता चलता है कि अगर आपके मन में किसी भी तरह का क्षल और कपट नहीं है, तो भगवान किसी भी रूप में आपको दर्शन दे सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि गजानन वेश धारण करने के बाद, भगवान जगन्नाथ लगभग 15 दिनों के लिए एकांतवास में चले जाते हैं, जहां उनका उपचार होता है। इसके बाद, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को वह भव्य रथ यात्रा के लिए आते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।