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    Shani Dev: क्या सच में न्याय के देवता शनिदेव से सर्वश्रेष्ठ हैं मायावी ग्रह राहु ?

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 28 Aug 2024 09:31 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो शनिदेव (God shani Dev) न्याय करते हैं। उन्हें न्याय करने का अधिकार प्राप्त है। यह वरदान उन्हें भगवान शिव से प्राप्त हुआ है। शनिदेव प्रत्येक राशि में ढाई साल तक रहते हैं। शनि के गोचर से जातक को साढ़े साती से गुजरना पड़ता है। साढ़े साती के तीन चरण हैं। इसके अलावा शनि की ढैय्या ढाई साल की होती है।

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    Lord Shani: शनिदेव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व है। ज्योतिष कुंडली देखकर व्यक्ति विशेष के जीवन की पूरी जानकारी देते हैं। इससे करियर, कारोबार, प्रेम, विवाह, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की जानकारी मिल जाती है। कुंडली में ग्रहों को दो भागों में बांटा गया है। कुंडली में शुभ ग्रह के मजबूत होने पर जातक के जीवन में सुखों का आगमन होता है। वहीं, अशुभ ग्रहों के प्रभाव के चलते जातक को जीवन में विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है। लेकिन क्या आपको पता है कि मायावी ग्रह राहु और न्याय के देवता शनिदेव में कौन (Shani vs Rahu) सर्वश्रेष्ठ हैं ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    शनिदेव (Effects of Shani Dev)

    न्याय के देवता शनिदेव आत्मा के कारक सूर्य देव और माता छाया के पुत्र हैं। शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। तुला राशि में शनिदेव उच्च के होते हैं। एक राशि में शनिदेव ढाई साल तक गोचर करते हैं। इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं। शनि की महादशा 19 साल (Shani Mahadasha) की होती है। शनिदेव न्याय के देवता हैं। यह वरदान शनिदेव को भगवान शिव से प्राप्त हुआ है।

    अतः अच्छे कर्म करने वाले जातकों को शनिदेव शुभ फल देते हैं। वहीं, बुरे कर्म करने वाले जातकों को शनिदेव दंड देते हैं। शनिदेव को मोक्ष प्रदाता भी कहा जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में शनिदेव की कुदृष्टि पड़ने से जातक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए ज्योतिष जातक को अच्छे कर्म करने की सलाह देते हैं। वहीं, कुंडली में शनि (Shani Dev) मजबूत होने पर जातक अल्प श्रम और समय में धनवान बन जाता है।

    मायावी ग्रह राहु

    ज्योतिष राहु और केतु को मायावी ग्रह मानते हैं। मायावी ग्रह राहु वृषभ राशि में उच्च के होते हैं। वहीं, कई ज्योतिषियों का मानना है कि राहु मिथुन राशि में उच्च के होते हैं। राहु एक राशि में डेढ़ साल तक रहते हैं। इसके बाद वक्री चाल चलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। शुभ ग्रहों के साथ रहने पर राहु का बुरा प्रभाव जातक पर पड़ता है। सूर्य, गुरु और चंद्रमा के साथ राहु की युति होने पर जातक को जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जातक को सभी शुभ कार्यों में बाधा का सामना करना पड़ता है। राहु की महादशा 18 साल की होती है।

    मायावी ग्रह राहु का अशुभ प्रभाव पड़ने पर जातक के स्वभाव में बदलाव देखने को मिलता है। जातक फैसले लेने में असफल रहता है। कई बार जातक अपने जीवन में गलत फैसले ले लेता है। इससे जातक को भारी नुकसान होता है। वहीं, शुभ प्रभाव पड़ने पर जातक अपने जीवन में धनवान बनता है। कुल मिलाकर कहें तो शनिदेव न्याय के देवता हैं। अतः कर्म के अनुसार फल देते हैं। वहीं, मायावी ग्रह राहु की कृपा किसी विशेष व्यक्ति पर पड़ती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।