Indra Dev: महर्षि गौतम से इंद्र देव को मिला था ये श्राप, अहिल्या भी हुई ऋषि के क्रोध का शिकार
Indra Dev इंद्र देव को स्वर्ग के राजा के रूप में भी जाना जाता है। वहीं दूसरी और देवराज इंद्र को उनके भोगवादी होने के लिए भी जाना जाता है। ऐसी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिसमें इंद्र देव को अपनी इन्हीं आदतों के कारण परेशानियां झेलनी पड़ी। ऐसी ही एक घटना में इंद्र देव को गौतम ऋषि के क्रोध का सामना करते हुए एक विचित्र श्राप झेलना पड़ा था।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Indra Dev: सनातन धर्म में देवराज इंद्र को वर्षा का देवता माना गया है। अर्थात पृथ्वी पर वर्षा करने का कार्यभार वही संभालते हैं। लेकिन उनके जीवन की ऐसी कई घटनाएं हैं जिनके कारण उन्हें कई बार कष्टों का समाना करना पड़ा। इन्द्र द्वारा किए गए अपराधों के कारण उन्हें दूसरे देवताओं के समान ज्यादा आदर- सत्कार नहीं दिया जाता। आइए जानते हैं कि देवराज इंद्र को अपनी कामवासना के चलते कौन-सा श्राप मिला था।
इस तरह किया इंद्र ने छल
अहल्या जिसका निर्माण ब्रह्मा द्वारा किया जाता गया था। वह सबसे सुंदर महिलाओं में से एक थी। उनका विवाह गौतम ऋषि से हुआ। इंद्र देव अहल्या की सुंदरता पर मोहित थे। इसलिए उन्होंने अपनी माया से ऐसा वातावरण बनाया जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता था कि सुबह हो गई है। यह देखकर गौतम ऋषि स्नान करने के लिए आश्रम से बाहर चले गए।
जिसके बाद देवराज इंद्र ने गौतम ऋषि का वेश धारण करके आश्रम में प्रवेश किया। उन्होंने आते ही अहिल्या से प्रणय निवेदन किया। अपने पति द्वारा इस तरह के विचित्र व्यवहार को देखकर पहले तो अहिल्या को शंका हुई, लेकिन इन्द्र के छल-कपट से मीठी-मीठी बातें करके अहिल्या उनके झांसे में आ गई और अनजाने में भूल कर बैठीं।
गौतम ऋषि ने दिया श्राप
दूसरी तरफ नदी के पास जाने पर गौतम ऋषि ने आसपास का वातावरण देखा जिससे उन्हें अनुभव हुआ कि अभी भोर नहीं हुई है। वो किसी अनहोनी की कल्पना करके अपने घर पहुंचे। वहां जाकर उन्होंने देखा कि उनके वेश में कोई दूसरा पुरुष उनके आश्रम से बाहर निकल रहा है। ये देखकर ऋषि को क्रोध आ गया। ऋषि का क्रोध देखकर इन्द्र भी भयभीत हो गए। ऋषि ने इन्द्र को श्राप देते हुए कहा कि- ‘मूर्ख, तूने मेरी पत्नी का स्त्रीत्व भंग किया है। मैं तुझे श्राप देता हूं कि अभी इसी समय तेरे पूरे शरीर पर हजार योनियां उत्पन्न हो जाएगी’। श्राप के चलते इंद्र देव के पूरे शरीर पर हजार योनियां उत्पन्न हो गई, जिसके चलते इंद्र को आत्मग्लानि का अनुभव हुआ।
अहिल्या भी हुई क्रोध का शिकार
क्रोध के चलते उन्होंने अपनी पत्नी को शिला में बदलने का श्राप दे दिया। लेकिन जब उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि अहिल्या से यह भूल अनजाने में हुई है तो इसके बाद ऋषि ने कहा कि जब विष्णु स्वयं इस आश्रम में पैर रखेंगे तब तुम्हें मुक्ति मिल सकती है।
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