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    पेड़ों से लेकर नदियों तक को माना गया है पूजनीय, जानिए क्या है हिंदू धर्म में प्रकृति का महत्व

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Sat, 03 Jun 2023 03:32 PM (IST)

    भगवत गीता में कहा गया है कि सृष्टि के कण-कण में ईश्वर का वास है। इसलिए सभी जीवों की रक्षा करनी चाहिए। भारत की वसुधैव कुटुंबकम की नीति के अनुसार पूरी पृथ्वी एक परिवार है। धरती पर मौजूद सभी पशु-पक्षी पेड़-पौधे इस परिवार का हिस्सा हैं।

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    Importance of Nature in Hinduism जानिए क्या है हिंदू धर्म में प्रकृति का महत्व।

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क। Importance of Nature in Hinduism: हिंदू धर्म का प्रकृति से गहरा नाता है। प्रकृति हमारे जीवन का एक जरूरी अंग है। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हिंदू धर्म में पृथ्वी को देवी का रूप माना गया है। इसके अलावा पर्वत, नदी, जंगल, तालाब, वृक्ष, पशु-पक्षी आदि सभी को दैवीय कथाओं व पुराणों से जोड़कर देखा जाता है। हिन्दू धर्म के अधिकतर त्योहार या पर्व खगोलीय घटना, प्राकृतिक बदलाव, मौसम-परिवर्तन, सौर मास, चंद्रमास और नक्षत्र मास के महत्वपूर्ण दिनों और पर्यावरण सुरक्षा से जुड़े हैं। ये सभी बाते बताती हैं कि हिंदू धर्म में प्रकृति का एक विशेष स्थान है। प्राचीन काल में हर काम प्रकृति को ध्यान में रखकर ही किया जाता था।

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    जानिए पेड़-पौधों का महत्व

    तुलसी, केले और पीपल जैसे पेड़ों के पूजनीय माना गया है। इन वृक्षों में भगवान का वास माना गया है। हमारी सबसे पौराणिक चिकित्सा पद्धति ‘आयुर्वेद’ में भी माना गया है कि हर बीमारी का इलाज प्रकृति में ही मौजूद है।

    हिंदू धर्म में क्या है जीव-जंतुओं का महत्व

    भारतीय संस्कृति में पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम, सह-अस्तित्व और यहां तक कि उनकी पूजा की भी परंपरा रही है। इसी के चलते पहली रोटी गाय के लिए निकालने का विधान है। गाय को माता कहकर संबोधित किया जाता है। 

    क्या है नदियों का महत्व

    भारत में कई नदियों को लोकमाता कहकर पुकारा जाता है। शास्त्रों में भी स्नान करते समय सप्त नदियों, गंगा, यमुना, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी को याद करने का विधान है। हिंदू धर्म में धरती को भी मां कहकर संबोधित किया जाता है। माना जाता है कि सुबह उठकर धरती पर पैर रखने से पहले उसका स्पर्श करना चाहिए।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'