कलयुग की मुश्किलों से पार कैसे पाएं? श्रीमद्भगवद गीता में छिपे हैं ये 5 अचूक मंत्र
महाभारत में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश आज के कलयुग में भी काफी कारगर साबित होते हैं। ये उपदेश तनाव और अशांति से जूझ रहे लोगों के लिए 'स ...और पढ़ें

भगवत गीता की सीख (Image Source: AI-Generated)

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धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज के दौर में हर इंसान किसी न किसी तनाव, लालच या मानसिक अशांति से जूझ रहा है। ऐसे में हर कोई मानसिक शांति की खोज में अध्यात्म की ओर रुख करना चाहता है। ऐसे में, महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए थे, वह केवल उस युद्ध के लिए नहीं थे, बल्कि आज के 'कलयुग' में जीने की एक 'सर्वाइवल गाइड' भी हैं। अगर आप भी इस भागदौड़ भरी जिंदगी में शांति और सफलता चाहते हैं, तो गीता के ये सूत्र आपके काम जरूर आएंगे।
1. फल की चिंता छोड़ कर्म पर ध्यान दें (Nishkama Karma-निष्काम कर्म)
कलयुग में हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम काम शुरू करने से पहले ही उसके परिणाम (Result) के बारे में सोचने लगते हैं। भगवान कृष्ण कहते हैं, "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।" इसका सीधा मतलब है कि आप अपना पूरा ध्यान अपने काम की क्वालिटी पर लगाएं। जब आप परिणाम की चिंता छोड़ देते हैं, तो आपका तनाव अपने आप कम हो जाता है और आप बेहतर काम कर पाते हैं।
2. मन पर काबू पाएं (Control over Mind)
गीता के अनुसार, जिसका मन उसके वश में नहीं है, वह उसका सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है। कलयुग में सोशल मीडिया, दिखावा और इच्छाएं हमारे मन को भटकाती हैं। कृष्ण कहते हैं कि अभ्यास और वैराग्य से मन को शांत किया जा सकता है। एक स्थिर मन ही कठिन समय में सही फैसले लेने में मदद करता है।

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3. 'स्थितप्रज्ञ' बनें: सुख-दुख में समान रहें
जीवन में उतार-चढ़ाव आना तय है। गीता हमें 'स्थितप्रज्ञ' बनने की सलाह देती है। यानी वह व्यक्ति जो न तो बड़ी सफलता पर बहुत ज्यादा उछले और न ही असफलता पर टूट जाए। कलयुग की अनिश्चितता में अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना ही असली ताकत है।
4. स्वधर्म का पालन करें (Follow your Purpose)
कलयुग में हम अक्सर दूसरों को देखकर उनके जैसा बनने की कोशिश करते हैं। गीता की सीख के अनुसार, दूसरों के जीवन की नकल करने से बेहतर है कि आप अपने 'स्वधर्म' (अपनी काबिलियत और कर्तव्य) को पहचानें। अपनी प्रकृति के अनुसार काम करना ही आपको सच्ची संतुष्टि और सफलता दिला सकता है।
5. भक्ति और समर्पण (Surrender to Supreme)
जब जीवन में सब कुछ धुंधला दिखने लगे और कोई रास्ता न मिले, तब भगवान कृष्ण 'समर्पण' का मार्ग दिखाते हैं। उनका कहना है कि खुद को ईश्वर या ब्रह्मांड की शक्ति को सौंप देने से अहंकार खत्म होता है और डर से मुक्ति मिलती है। यह विश्वास कि "जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है", आपको हर परिस्थिति में टूटने से बचाता है।
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