Budh Mahadasha: कितने साल तक चलती है बुध की महादशा और कैसे करें व्यापार के दाता को प्रसन्न?
ज्योतिषियों की मानें तो वर्तमान समय में बुध देव मीन राशि में विराजमान हैं। वहीं मई महीने में बुध देव राशि परिवर्तन करेंगे। बुध देव 07 मई को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर (Budh Gochar 2025) करेंगे। बुध देव मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं। कन्या राशि के जातकों पर बुध देव की विशेष कृपा बरसती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बुधवार का दिन ग्रहों के राजकुमार बुध देव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश और बुध देव की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए बुधवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही शुभ कामों में सफलता मिलती है।
धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त हर परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही साधक के आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि बुध की महादशा (Budh ki Mahadasha) कितने साल तक चलती है और ग्रहों के राजकुमार देव को कैसे प्रसन्न करें? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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बुध की महादशा
ज्योतिषियों की मानें तो गुरु की महादशा लगभग 17 साल तक चलती है। इस दौरान सभी शुभ और अशुभ ग्रहों की अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा चलती है। इनमें सबसे पहले बुध की अंतर्दशा चलती है। बुध की अंतर्दशा दो साल चार महीने की रहती है। इसके बाद केतु की अंतर्दशा चलती है। बुध की महादशा में शुभ ग्रहों की अंतर्दशा के दौरान जातक को कारोबार में विशेष सफलता मिलती है। वहीं, राहु या केतु और शत्रु ग्रह की अंतर्दशा में जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बुध देव को कैसे प्रसन्न करें?
- बुध देव को प्रसन्न करने के लिए बुधवार के दिन भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा करें। इस समय भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक अर्पित करें।
- बुधवार के दिन हरे रंग के कपड़े पहनें। साथ ही हरी सब्जियों और हरे फल का दान करें। इन चीजों के दान से बुध ग्रह मजबूत होत है।
- बुधवार के दिन बुध मंत्र का जप करें। साथ ही पूजा के समय गन्ने के रस में दूर्वा मिलाकर भगवान गणेश का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से भी धन की परेशानी दूर होती है।
गणेश मंत्र
1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
3. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
4. ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
5. ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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