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    स्वयंभू मनु और शतरूपा को कैसे मिला दशरथ और कौशल्या का जन्म? वरदान से प्राप्त हुआ ऐसा सौभाग्य

    Updated: Wed, 25 Sep 2024 02:23 PM (IST)

    हिंदू ग्रंथों में स्वयंभू मनु को ब्रह्मा का मानसपुत्र और धरती का पहला पुरुष बताया जाता है। उनकी पुत्नी शतरूपा भी धरती की पहली स्त्री मानी जाती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मनु और शतरूपा को भगवान विष्णु से एक वरदान मिला था जिस कारण उन्होंने भगवान को अपनी संतान के रूप में प्राप्त किया। चलिए जानते हैं वह कथा।

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    स्वयंभू मनु और शतरूपा को कैसे मिला दशरथ और कौशल्या का जन्म?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रामायण और रामचरितमानस, हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रंथों में से एक हैं। इसका एक-एक पात्र हमें कुछ-न-कुछ शिक्षा जरूर देता है। इन्हीं में से एक राजा दशरथ और माता कौशल्या भी हैं, जो रामायण के मुख्य पात्र रहे हैं। इन्हें भगवान राम को अपने पुत्र के रूप में पाने का सौभाग्य वरदान के कारण प्राप्त हुआ था। ऐसे में चलिए जानते हैं कि राजा दशरथ एवं माता कौशल्या पूर्व जन्म में कौन थे।

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    मिलती है यह कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, स्वयंभू मनु और शतरूपा धरती के पहले पुरुष और स्त्री थे। उन दोनों ने अपना राज्य अपने पुत्र को सौंप दिया और नैमिषारण्य जाकर भगवान वासुदेव का ध्यान करने लगे। दोनों ने भगवान विष्णु को अपने पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। तब स्वयंभू मनु और शतरूपा ने भगवान विष्णु से कहा कि आप हमारे पुत्र बनें हमारी यही इच्छा है।

    भगवान विष्णु ने दिया वरदान

    दोनों की इच्छा की पूर्ति करते हुए प्रभु श्री हरि ने वरदान देते हुए कहा कि त्रेतायुग में आप दोनों को अयोध्या के महाराजा और महारानी के रूप में जन्म मिलेगा और आपके पुत्र के रूप में मेरा सातवां अवतार अर्थात श्रीराम का जन्म होगा। इसी वरदान के फलस्वरूप अगले जन्म में स्वयंभू मनु राजा दशरथ और उनकी पत्नी शतरूपा माता कौशल्या बनी। वहीं प्रभु श्रीराम ने उन दोनों के पुत्र के रूप में जन्म लिया।

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    कैकेयी ने भी प्रकट की इच्छा

    ऐसा भी कहा जाता है कि राजा दशरथ ही कृष्ण अवतार के समय वासुदेव और देवी कौशल्या, देवकी बनी थीं। कैकेयी ने भगवान राम से कहा था कि मैं तुम्हें अगले जन्म में पुत्र के रूप में प्राप्त करना चाहती हूं, इसलिए कैकेयी को अगला जन्म यशोदा के रूप में मिला और उन्होंने भी भगवान श्रीकृष्ण की माता बनने का सौभाग्य प्राप्त किया।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।