Lord Ganesh: कब और कैसे हुई भगवान गणेश की शादी? नारद जी ने निभाई थी अहम भूमिका
रिद्धि-सिद्धि को गणेश जी (Lord Ganesha Marriage Riddhi Siddhi) की पत्नियों के रूप में जाना जाता है जो ब्रह्मा जी की पुत्रियां थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों का विवाह गणेश जी से कैसे हुआ। इसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है जिसके अनुसार तुलसी जी के श्राप के कारण गणेश जी के दो विवाह हुए थे।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में गौरी पुत्र गणेश जी को प्रथम पूज्य देव माना जाता है, क्योंकि किसी भी शुभ व मांगलिक कार्य से पहले उनका ध्यान और पूजा जरूर किया जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी कार्य निर्विघ्न रूप से पूरे होते हैं। गणेश जी के रिद्धि-सिद्धि से विवाह के पीछे एक बहुत ही खास कथा (Mythological Story) मिलती है। चलिए जानते हैं वह कथा।
तुलसी जी ने क्यों दिया श्राप
पद्मपुराण और गणेश पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, तुलसी माता, गणेश जी से विवाह करना चाहती थीं। एक बार जब उन्होंने गणेश जी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा, तो गणेश जी ने उनसे शादी करने के लिए मना कर दिया। इससे तुलसी जी क्रोधित हो गईं और उन्होंने गणेश जी को दो शादियां होने का श्राप दिया। इस श्राप के फलस्वरुप गणेश जी का विवाह रिद्धि और सिद्धि नामक दो बहनों से हुआ।
इस तरह हुआ विवाह
गणेश पुराण के छठे अध्याय में भगवान गणेश के विवाह की जानकारी मिलती है। कथा के अनुसार, गणेश जी के एक दांत और लम्बोदर रूप के कारण उनके विवाह में कई परेशानियां आ रही थीं। इससे रुष्ट होकर गणेश जी अपनी सवारी मूषक के साथ मिलकर दूसरे देवताओं के विवाह में बाधा उत्पन्न पहुंचने लगे।
सभी देवता इससे परेशान हो गए, तब उन सभी ने अपनी समस्या ब्रह्मा जी से जातक कही। ब्रह्मा जी ने देवताओं की गुहार पर अपनी दो पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि को गणेश जी के पास शिक्षा ग्रहण करने भेजा।
यह भी पढ़ें - Budhwar Ke Upay: भगवान गणेश की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, जल्द मिलेगा रुका हुआ धन
विवाह के लिए तैयार हुए श्रीगणेश
जब भी गणेश जी को किसी देवता के विवाह के बारे में पता चलता, तो उसी समय रिद्धि और सिद्धि उनका ध्यान भटका देती थीं। इस प्रकार देवताओं के विवाह निर्विध्न रूप से सम्पन्न होने लगे। जब गणेश जी को इस बात का पता चला, तो वह उनपर क्रोधित हो गए।
इतने में वहां नारद जी प्रकट हुए और गणेश जी को रिद्धि और सिद्धि से विवाह करने का सुझाव दिया। गणेश जी की स्वीकृति से रिद्धि और सिद्धि के साथ उनका विवाह सम्पन्न हुआ। दोनों पत्नियों से उन्हें शुभ और लाभ नामक दो पुत्र भी प्राप्त हुए।
(Picture Credit: Freepik)
यह भी पढ़ें - Shivling Puja Niyam: शिवलिंग जलाभिषेक के समय किस दिशा में होना चाहिए आपका मुख, ध्यान रखें ये नियम
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।