Holi Bhai Dooj 2025: क्यों मनाते हैं होली भाई दूज? जानिए इसके पीछे की कथा और तिलक मुहूर्त
होली भाई दूज का पर्व हर साल फाल्गुन महीने में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और तरह -तरह की मिठाई खिलाती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और हमेशा रक्षा करने का वादा करते हैं तो आइए इस पर्व को (Holi Bhai Dooj 2025) को और भी खास बनाने के लिए इससे जुड़ी कथा पढ़ते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। होली भाई दूज एक शुभ हिंदू त्योहार है, जो भाई-बहन के बीच पवित्र बंधन का प्रतीक है। द्वितीया तिथि पर मनाया जाने वाला यह त्योहार होली के भव्य उत्सव के बाद आता है। यह साल में दो बार यानी एक दिवाली और दूसरा होली के बाद मनाया जाता है। होली भाई दूज भारत के कुछ क्षेत्रों में ही ज्यादा भव्यता के साथ मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो भाई-बहन इस पर्व को मिलकर एक साथ मनाते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही उनका रिश्ता बीतते दिन (Holi Bhai Dooj 2025) के साथ मजबूत होता जाता है।
(IMG Caption - Freepic)
तिलक समय (Tilak Samay)
होली भाई दूज पर तिलक करने के लिए मुहूर्त सुबह से लेकर शाम को 04 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
होली भाई दूज की कथा (Holi Bhai Dooj 2025 Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वितीया तिथि के दिन भगवान यम अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे और उन्होंने उनका हार्दिक भाव से स्वागत किया था। इसके बाद यमुना जी ने उनके माथे पर तिलक लगाया और तरह-तरह के मिष्ठान खिलाए थे। भगवान यम अपनी बहन के आतिथ्य से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने यह वरदान दिया की जो भी भाई इस तिथि पर अपनी बहन से तिलक लगवाएगा, उसे लंबी उम्र और सुख- शांति का आशीर्वाद मिलेगा। साथ ही रोग-दोष से मुक्ति मिलेगी।
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द्वितीया तिथि कब समाप्त होगी? (Holi Bhai Dooj 2025 End Timing)
वैदिक पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि की शुरुआत 15 मार्च, 2025 की दोपहर 02 बजकर 33 मिनट पर हो चुकी है। वहीं, इसका समापन 16 मार्च 2025 की शाम 04 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस साल होली भाई दूज का पर्व 16 मार्च 2025, दिन रविवार यानी आज मनाया जा रहा है, क्योंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व है।
पूजा मंत्र (Puja Mantra)
1. यमस्वसर्नमस्तेऽसु यमुने लोकपूजिते। वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते॥
2. ॐ नमो भगवत्यै कलिन्दनन्दिन्यै सूर्यकन्यकायै यमभगिन्यै श्रीकृष्णप्रियायै यूथीभूतायै स्वाहा॥
3. धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज। पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते॥
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