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    Holi 2023: जब क्रोध में कामदेव को भोलेनाथ ने कर दिया था भस्म, जानिए क्या है इसका होली से संबंध?

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Tue, 28 Feb 2023 04:09 PM (IST)

    Holi 2023 हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 08 मार्च को होली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस विशेष दिन से जुड़ी कई पौराणिक कथा एवं कहानियां प्रचलित हैं। लेकिन भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी एक कथा है जिसे बहुत कम लोग जानते हैं।

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    Holi 2023: जानिए कामदेव और भगवान शिव से जुड़ी अनोखी कथा।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Holi 2023: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के अगले दिन होली पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर लोग सभी आपसी मतभेद को भुलाकर होली के रंग में डूब जाते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हुए गुलाल व अबीर से होली खेलते हैं। इस वर्ष रंगवाली होली 08 मार्च 2023, बुधवार के दिन खेली जाएगी।

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    हम सभी होलिका और भक्त प्रह्लाद की कथा को अच्छे जानते हैं, लेकिन इस पर्व से जुड़ी कुछ ऐसी भी पौराणिक किवदंतियां हैं, जिनका ज्ञान कम लोगों को है। ऐसी ही एक कथा भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी है, जिसकी चर्चा आज हम करेंगे। आइए जानते हैं क्या है इस पौराणिक कथा में खास?

    होली की कथा (Holi 2023 ki Katha)

    पुराणों के अनुसार एक बार भगवान शिव आम दिनों की भांति ही अपनी तपस्या में लीन थे। शिव गणों को यह आदेश था कि कोई भी तपस्या के बीच में विघ्न उत्पन्न नहीं करेगा। लेकिन उस दिन माता पार्वती भगवान शिव से विवाह का प्रस्ताव लेकर आई थीं और उनका ध्यान अपनी ओर खींचना चाहती थीं। माता पार्वती ने भोलेनाथ का ध्यान आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए, किन्तु वह सफल नहीं हो पाईं। पार्वती जी की कोशिश को देखकर कामदेव बहुत प्रसन्न हुए और शिव-पार्वती के मिलन के लिए भोलेनाथ पर पुष्पों की वर्षा कर दी। कामदेव द्वारा किए गए पुष्पवर्षा से भोलेनाथ की तपस्या भंग हो गई।

    तपस्या भंग होने पर महादेव अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने अपने तीसरा नेत्र को खोल दिया। क्रोध की ज्वाला से कामदेव भस्म हो गए। इस घटना के बाद भगवान शिव ने पार्वती जी की ओर देखा और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। लेकिन कामदेव की पत्नी रति बहुत दुखी हो गई और उन्होंने भगवान शिव की आराधना का प्रण लिया। रति की तपस्या को देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए। जब भगवान शिव आए तो रति ने अपने पति की तरफ में पूरी घटना का व्याख्यान किया। साथ ही उन्हें बताया कि पार्वती माता सती का ही रूप हैं और आप दोनों के मिलन के लिए ही कामदेव ने आप पर फूलों की वर्षा की थी। उन्होंने तो केवल उनका साथ दिया था। रति की इस बात को सुनकर भगवान शिव ने कामदेव को मनसिज के रूप में जीवित कर दिया और कहा कि तुम सदैव देहविहीन रहोगे। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा थी और अगले दिन होली का पर्व मनाया जाना था।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।