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    पिया के लिए हुई पराई

    By Edited By:
    Updated: Sun, 19 Aug 2012 03:05 PM (IST)

    हिमाचल में जीवन संगिनी एक माह के लिए पिया के लिए पराई हो गई है। नवविवाहित दुल्हनें पिया की दहलीज छोड़ अपने बाबुल के देश चली गई हैं। यह विरह की पीड़ा ए ...और पढ़ें

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    शिमला, [तारा चंद]। हिमाचल में जीवन संगिनी एक माह के लिए पिया के लिए पराई हो गई है। नवविवाहित दुल्हनें पिया की दहलीज छोड़ अपने बाबुल के देश चली गई हैं। यह विरह की पीड़ा एक माह तक झेलेंगी। पति के घर से 16 अगस्त को रुखसत हुई दुल्हनें 16 सितंबर को ही घर वापसी करेंगी।

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    हिंदू समाज में मान्यता है कि काले महीने में जीवन संगिनी पति के घर में नहीं रहती। यह महीना टोने टोटके के लिए जाना जाता है। जिनकी शादी को एक वर्ष पूरा नहीं हुआ उन्हें टोटकों से बचाने के लिए पिता की छत्रछाया में भेजा जाता है।

    सावन महीने में कई शादियां हुई हैं लेकिन जल्द ही दुल्हनों की पति के घर से विदाई हो गई है। लेकिन बदले दौर में दुल्हनें प्रीतम का दीदार करने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा ले रही हैं। सोनिया कहती हैं, हम फेसबुक या वीडियो कॉल या स्काइप के जरिए बातचीत करते हैं।

    माना जाता है कि काले महीने में सास-बहू को एक-दूसरे से मुलाकात नहीं कर करनी चाहिए अन्यथा दोनों में हमेशा तनाव बना रहता है। इस संबंध में कोई किंवंदती या गाथा न जुड़ी हो लेकिन इसका महत्व इसलिए अधिक है कि बरसात के मौसम के बावजूद किसी प्रकार की मानवीय क्षति न हो और नई नवेली दुल्हन सुरक्षित रह सके इसीलिए ससुराल से मायके ले जाया जाता है। आश्विन माह के प्रारंभ होते ही दुल्हन पिया के घर पहुंच जाती है और शरद ऋतु के साथ ससुराल में फिर से नई दुल्हन का स्वागत किया जाता है।

    पंडितों के अनुसार इस माह में भगवान विष्णु पाताल में शयन के लिए चले जाते हैं जिस कारण इस महीने तंत्र, मंत्र और जादू टोना अधिक चलता है। नई दुल्हनों पर नई जगह पर किसी प्रकार का जादू टोना न चले इस कारण भी नवविवाहिताएं भादों माह में अपने पिता के घर चली जाती हैं।

    भादो माह के शुरू होते ही बाजार में भी मंदी छा गई है। भादो माह जिसे काला महीना भी कहा जाता है कारोबारियों के लिए काला साया साबित होता है। मान्यता है कि भादो माह में कोई भी नया कार्य शुरू नहीं किया जाता। कोई भी व्यक्ति इस माह में न तो गाड़ी खरीदता है और न ही आभूषण। यहां तक कि इस दौरान लोग नए कपड़े भी खरीदने से परहेज करते हैं तथा शादी आदि शुभ कार्य भी इस महीने में वर्जित माने जाते हैं।

    डॉ. प्रेम प्रसाद पंडित के अनुसार इस माह में रात्रियां अन्य महीनों की अपेक्षा अधिक काली होती हैं, इसी कारण इसे काला महीना कहा जाता है।

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