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    Hanuman Temple: इस मंदिर में हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम टेकते हैं माथा, जानें रहस्यमयी मंदिर से जुड़ी प्रमुख बातें

    Updated: Thu, 26 Sep 2024 04:02 PM (IST)

    हनुमान जी की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। राम भक्त की पूजा के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बजरंगबली की पूजा करने वाले से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं आज हम भारत के एक ऐसे मंदिर (Lakshmeshwar Hanuman Mandir) की बात करेंगे जिसकी चर्चा दूर-दूर तक है।

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    Hanuman Temple: हनुमान मंदिर से जुड़ी प्रमुख बातें।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भगवान हनुमान की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी पूजा करने से जीवन के सभी संकटों का नाश होता है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है। वहीं, राभक्त हनुमान जी के भारत में कई ऐसे चमत्कारी मंदिर (Hanuman Temple) हैं, जिनमें दर्शन मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और यहां दूसरे धर्मों के लोग भी पूजा करते हैं, तो आइए इस दिव्य धाम के बारे में जानते हैं कि यह कहां पर स्थित है?

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    हनुमान मंदिर कहां स्थित है?

    दरअसल, हम बात कर रहे हैं कर्नाटक के गडग जिले के कोरीकोप्पा गांव में मौजूद लक्ष्मेश्वर हनुमान मंदिर की, जहां पर मुस्लिम समुदाय (Muslims Worships In Hanuman Mandir) के द्वारा पवन पुत्र की भव्य पूजा होती है। इस मंदिर को लोगों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस धाम में दर्शन के लिए आते हैं, उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही प्रभु राम के साथ हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    हनुमान मंदिर से जुड़ी कहानी

    इस मंदिर (Muslims Worships In Hanuman Mandir) को लेकर एक कहानी प्रचलित है, जिसमें बताया जाता है कि एक बार कर्नाटक इस गांव में हैजा की बीमारी फैल गई थी। जिस वजह से गांव के सभी लोग धीरे-धीरे वहां से जाने लगे थे। इसके पश्चात गांव में कोई भी नहीं बचा था। गांव के इस चमत्कारी हनुमान मंदिर (Lakshmeshwar Hanuman Mandir) को लेकर लोगों में अटूट आस्था थी, जिसके चलते कुछ मुस्लिम परिवार जो इस महामारी के दौरान भी यहां पर मौजूद थे,

    उन्होंने इस मंदिर (Hindu Muslim Temple) में पूजा-अर्चना करना जारी रखा। तभी से इस हनुमान मंदिर की जिम्मेदारी मुस्लिम समुदाय के पास ही है और आज भी वह इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।