Hanuman ji: हनुमान जी को कहा जाता है अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, जिसका माता जानकी से मिला था वरदान
हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रुद्र अवतार हैं अर्थात शिव का अंश ही हैं। कई धार्मिक हिंदू पुराणों में बजरंगबली के बल का वर्णन मिलता है। रामायण में भी ऐसी कई घटनाओं का वर्णन मिलता है जिसमें स्वतः ही हनुमान जी का पराक्रम देखने को मिल जाता है। चाहे वह समुद्र लांघना हो या फिर रावण की सोने की लंका को राख करना।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। राम भक्त हनुमान उन 8 चिरंजीवियों में शामिल हैं, जिन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी सच्चे मन से आराधना करने वाले भक्तों के जीवन को दुखों से रहित कर देते हैं। हनुमान चालीसा के साथ-साथ अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी यह बताया गया है कि हनुमान जी की आराधना से आठ प्रकार की सिद्धियां और नौ प्रकार की निधियां साकार हो जाती है। यह वरदान उन्हें माता जानकी से मिलता था। चलिए जानते हैं कि अष्ट सिद्धि नौ निधि कौन-सी हैं।
हनुमान चालीसा में भी मिलता है वर्णन
हनुमान चालीसा में लिखित एक पंक्ति के अनुसार, हनुमान जी को अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता कहा गया है। जिसका वरदान उन्हें मां जानकी से मिला था। इसके अलावा मार्कंडेय पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी अष्ट सिद्धियों का उल्लेख किया गया है। जो इस प्रकार हैं -
अष्टसिद्धियां -
- अणिमा - अर्थात हनुमान जी जब चाहें अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।
- महिमा - इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कितना भी विशाल रूप धारण कर सकते हैं।
- गरिमा - इस सिद्धि की मदद से हनुमान जी स्वयं के भार को कितना भी बढ़ा सकते हैं।
- लघिमा - इस सिद्धि के अंतर्गत हनुमान जी अपना भार जितना चाहे, उनता कम भी कर सकते हैं।
- प्राप्ति - हनुमान जी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर कर सकते हैं।
- प्राकाम्य - इस सिद्धि के बल पर हनुमान जी मनचाही वस्तु प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।
- ईशित्व - हनुमान जी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हैं।
- वशित्व - हनुमान जी जितेंद्रिय हैं और उनका अपने मन पर पूर्ण नियंत्रण हैं।
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क्या हैं नौ निधियां
- पद्म निधि - इस निधि से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है। साथ ही सोने-चांदी रत्नों से संपन्न होते है और उदारता से दान करता है।
- महापद्म निधि - महाप निधि से लक्षित भी सात्विक और दानी होता है।
- नील निधि - इस निधि में व्यक्ति में सत्व और रज गुण दोनों ही मिश्रित होते हैं। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।
- मुकुंद निधि - इस निधि में मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है इसलिए इसे राजसी स्वभाव वाली निधि कहा गया है। इसमें मनुष्य राज्य संग्रह में लगा रहता है।
- नन्द निधि - नंद निधि में रज और तम गुणों का मिश्रण होता है। इसमें साधक को लंबी आयु व निरंतर तरक्की प्राप्त होती है।
- मकर निधि - मकर निधि से संपन्न व्यक्ति अस्त्रों का संग्रह करने वाला होता है व शत्रुओं पर भारी पड़ता है।
- कच्छप निधि - कच्छप निधि से संपन्न व्यक्ति तामस गुण वाला होता है। अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।
- शंख निधि - यह निधि एक पीढ़ी के लिए ही होती है।
- खर्व निधि - इस निधि से संपन्न व्यक्ति अन्य 8 निधियों का सम्मिश्रण होती है। इसलिए खर्व निधि वाले व्यक्ति में मिश्रित फल दिखाई देते हैं।
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