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    Alopi Devi Temple: इस जगह गिरा था मां सती के दाहिने हाथ का पंजा, जानें अलोपी देवी मंदिर की खासियत

    Updated: Wed, 14 Aug 2024 02:56 PM (IST)

    ऐसा बताया जाता है कि जहां अलोपी देवी मंदिर (Alopi Devi Temple) है। वहां पर मां सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरा था। गिरने के बाद वह विलुप्त हो गया था जिसके कारण मंदिर का नाम अलोप शंकरी पड़ा। स्थानीय लोग इसे अलोपी देवी मंदिर के नाम से जानते हैं। चलिए जानते हैं मंदिर की खासियत के बारे में।

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    Alopi Devi Temple: जानें कैसे पड़ा अलोपी देवी मंदिर का नाम

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Alopi Shankari Temple: देश में आज के समय में कई मंदिर अधिक प्रसिद्ध हैं। कई मंदिर अपनी खासियत की वजह जाने जाते हैं तो कुछ मंदिर मान्यता के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का अलोपी मंदिर भी शामिल है। मंदिर में एक पालना है। भक्त उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। इससे सभी मुरादें पूरी होती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी अधिक जानकारी के बारे में।

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    इस मंदिर का नाम अलोपी देवी मंदिर है। मां सती को समर्पित यह मंदिर प्रयागराज के अलोपीबाग में स्थित है। मंदिर में बिना मूर्ति के पूजा-अर्चना होती है। मंदिर में सिर्फ पालना बनाया गया है, जिसको लोग मां सती का रूप मानकर उपासना करते हैं। ऐसा बताया जाता है कि इस देवी के नाम पर इस मोहल्ले का नाम अलोपी बाग पड़ा। मंदिर में अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

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    श्रद्धालु कुंड से जल लेकर पालने पर चढ़ाते हैं और परिक्रमा लगाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मंदिर में परिक्रमा लगाने से साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। नवरात्र के दौरान यहां मेला लगता है। ऐसी मान्यता है कि जिस इंसान की मनोकामना पूरी हो जाती है, वह मां को हलवा पूड़ी का भोग अर्पित करता है और कड़ाही भी चढ़ाते हैं।

    ये है मंदिर की खासियत

    इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में किसी भी देवी-देवता की मूर्ति विराजमान नहीं है। मंदिर में एक पालना है। उसी की लोग पूजा करते हैं। अलोपी देवी मंदिर को माँ अलोपशंकरी का सिद्ध पीठ मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर में माता के अलोप रूप यानी माता अलोपशंकरी के रूप में पूजा जाता है।

    मंदिर कैसे पहुंचे?

    अगर आप अलोपी देवी मंदिर जाना चाहते हैं, तो इसके ट्रेन का द्वारा पहुंच सकते हैं। इस मंदिर के पास प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन है। यहां से कैब और बस की सुविधा है। इसके अलावा आप बस से भी प्रयागराज पहुंच सकते हैं। इसके बाद यहां से कैब या ऑटो की मदद से मंदिर पहुंच सकते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।