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    Hanuman Ji Mantra: मंगलवार के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, दूर हो जाएगी दुख और दरिद्रता

    वैदिक पंचांग के अनुसार मंगलवार 15 अप्रैल को वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि है। इस शुभ अवसर पर शुभ और शुक्ल समेत कई मंलगकारी योग बन रहे हैं। इन योग में हनुमान जी की पूजा (Hanuman Ji Puja Vidhi) करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलेगी।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 21 Apr 2025 09:30 PM (IST)
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    Hanuman Ji Mantra: हनुमान जी को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मंगलवार का दिन हनुमान जी को प्रिय है। इस शुभ दिन भगवान राम संग हनुमान जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मंगलवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं। मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है।

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    ज्योतिष भी कुंडली में व्याप्त शनि समेत अशुभ ग्रहों के प्रभावों को समाप्त करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। इसके लिए साधक मंगलवार के दिन भक्ति भाव से राम परिवार संग हनुमान जी की पूजा करते हैं। अगर आप भी हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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    मंगलवार मंत्र

    1. ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,

    लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !

    श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे,

    रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

    2. अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्

    दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।

    सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्

    रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

    ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः

    3. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय

    प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

    4. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय

    रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति

    भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।

    5. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय

    सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

    6. ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धी महि तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥

    7. राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।

    सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने ।।

    8. ॐ जानकीकांत तारक रां रामाय नमः॥

    9. ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम ,

    लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !

    श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे,

    रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

    10. ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।

    ह्रीं राम ह्रीं राम ।

    श्रीं राम श्रीं राम ।

    क्लीं राम क्लीं राम।

    फ़ट् राम फ़ट्।

    रामाय नमः ।

    श्री रामचन्द्राय नमः ।

    श्री राम शरणं मम् ।

    ॐ रामाय हुँ फ़ट् स्वाहा ।

    श्री राम जय राम जय जय राम ।

    राम राम राम राम रामाय राम ।

    ॐ श्री रामचन्द्राय नम :

    तारक मंत्र

    श्री राम, जय राम, जय जय राम !!

    ‘श्री राम जय राम जय जय राम’।

    राम राम राम राम नाम तारकम्राम

    कृष्ण वासुदेव भक्ति मुक्ति दायकम् ॥

    जानकी मनोहरम सर्वलोक नायकम्

    जानकी मनोहरम सर्वलोक नायकम् ॥

    शङ्करादि सेव्यमान पुण्यनाम कीर्तनम्

    शङ्करादि सेव्यमान पुण्यनाम कीर्तनम् ॥

    राम राम राम राम नाम तारकम्राम

    कृष्ण वासुदेव भक्ति मुक्ति दायकम् ॥

    वीरशूर वन्दितं रावणादि नाशकम्

    वीरशूर वन्दितं रावणादि नाशकम् ॥

    आञ्जनेय जीवनाम राजमन्त्र रुपकम्

    आञ्जनेय जीवनाम राजमन्त्र रुपकम् ॥

    राम राम राम राम नाम तारकम्राम

    कृष्ण वासुदेव भक्ति मुक्ति दायकम् ॥

    ऋणमोचन अङ्गारकस्तोत्रम्

    रक्तमाल्याम्बरधरः शूलशक्तिगदाधरः ।

    चतुर्भुजो मेषगतो वरदश्च धरासुतः ॥

    मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।

    स्थिरासनो महाकायो सर्वकामफलप्रदः ॥

    लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।

    धरात्मजः कुजो भौमो भूमिदो भूमिनन्दनः ॥

    अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।

    सृष्टेः कर्ता च हर्ता च सर्वदेशैश्च पूजितः ॥

    एतानि कुजनामानि नित्यं यः प्रयतः पठेत् ।

    ऋणं न जायते तस्य श्रियं प्राप्नोत्यसंशयः ॥

    अङ्गारक महीपुत्र भगवन् भक्तवत्सल ।

    नमोऽस्तु ते ममाशेषं ऋणमाशु विनाशय ॥

    रक्तगन्धैश्च पुष्पैश्च धूपदीपैर्गुडोदनैः ।

    मङ्गलं पूजयित्वा तु मङ्गलाहनि सर्वदा ॥

    एकविंशति नामानि पठित्वा तु तदन्तिके ।

    ऋणरेखा प्रकर्तव्या अङ्गारेण तदग्रतः ॥

    ताश्च प्रमार्जयेन्नित्यं वामपादेन संस्मरन् ।

    एवं कृते न सन्देहः ऋणान्मुक्तः सुखी भवेत् ॥

    महतीं श्रियमाप्नोति धनदेन समो भवेत् ।

    भूमिं च लभते विद्वान् पुत्रानायुश्च विन्दति ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।