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Hanuman Jayanti 2024: बजरंगबली क्यों कहलाए हनुमान? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2024) चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 23 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। भगवान राम और मां सीता के परम भक्त हनुमान जी (Lord Hanuman Puja) की पूजा करने से जीवन का हर दुख दूर होता है। साथ ही जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Published: Sun, 31 Mar 2024 04:08 PM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2024 04:08 PM (IST)
Hanuman Jayanti 2024: बजरंगबली क्यों कहलाए हनुमान? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा
Hanuman Jayanti 2024: इस वजह से बजरंगबली कहलाए हनुमान

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, क्योंकि यह भगवान हनुमान के जन्म का प्रतीक है। हनुमान जयंती चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि या पूर्णिमा के दिन पड़ती है। भगवान राम और मां सीता के परम भक्त हनुमान जी की पूजा करने से जीवन का हर दुख दूर होता है। साथ ही जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। वीर हनुमान के जन्म और जीवन की लीलाओं को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। ऐसे में आज हम जानेंगे कि बजरंगबली को हनुमान नाम कैसे प्राप्त हुआ ?  

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इस वजह से बजरंगबली कहलाए हनुमान

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान हनुमान छोटे थे, तब उन्हें एक दिन भूख लगी। उस दौरान उनके समक्ष कोई नहीं था। तभी उन्होंने आकाश की ओर देखा और उन्हें सूर्य देव नजर आएं। सूर्य देव को सुंदर फल समझकर हनुमान जी आकाश की ओर उड़कर पहुंच गए और उन्होंने उन्हें फल समझकर अपने मुख के अंदर कर लिया, जिससे पूरे जगत में अंधेरा छा गया। देवी -देवताओं के लाख समझाने पर भी उन्होंने सूर्य देव को मुख से नहीं निकाला। अंत में इंद्र देव उनके पास पहुंचे और उन्होंने गुस्से में आकर उनपर वज्र से प्रहार कर दिया।

इससे उनकी ठुड्डी यानी कि हनु पर चोट लग गई और उनका मुंह खुल गया, जिससे भगवान सूर्य बाहर आ गए, लेकिन इस वजह से उनकी ठुड्डी टूट गई और तब से उन्हें 'हनुमान' कहा जाने लगा। हालांकि बाद में वायु देव के कुपित होने पर  देवताओं ने उनसे माफी मांगी और उन्हें कई सारे दिव्य वरदान और आशीर्वाद प्रदान किए।

ऐसे करें संकटमोचन की पूजा

बजरंगबली की पूजा करने के लिए शाम का समय ज्यादा अच्छा माना जाता है। ऐसे में पवित्र स्नान के बाद उनके किसी मंदिर जाकर उन्हें लाल सिंदूर चढ़ाएं। इसके बाद उन्हें लाल रंग का चोला और लाल लंगोट अर्पित करें। वीर हनुमान को तुलसी की माला अति प्रिय है, इसलिए तुलसी पत्र की माला अवश्य चढ़ाएं।

लड्डू का भोग लगाएं। फिर चमेली के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती से पूजा को समाप्त करें। साथ ही पवनपुत्र का आशीर्वाद लें।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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