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Hanuman Jayanti 2024: वीर बजरंगबली को प्रसन्न करने की कामना होगी पूरी, इस विधि से करें हनुमान जयंती पर पूजा

हिंदू धर्म में हनुमान जयंती का बहुत महत्व है। भगवान हनुमान मां अंजना और वानर राज केसरी के पुत्र हैं। उन्हें पवन पुत्र के रूप में भी पूजा जाता है। हनुमान जयंती चैत्र माह के दौरान शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। यही वजह है कि इस दिन का विशेष महत्व है -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Published: Sun, 31 Mar 2024 09:20 AM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2024 09:20 AM (IST)
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पूजा विधि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती का दिन बेहद शुभ माना गया है। इसे हनुमत जयंती, हनुमान जन्मोत्सव, आंजनेय जयंती और बजरंगबली जयंती के नाम से भी जाना जाता है। भगवान हनुमान मां अंजना और वानर राज केसरी के पुत्र हैं। उन्हें पवन पुत्र के रूप में भी पूजा जाता है। हनुमान जयंती चैत्र माह के दौरान शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। यही वजह है कि इस दिन का विशेष महत्व है -

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हनुमान जयंती पूजा विधि

  • भक्त इस दिन सुबह उठकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • व्रती भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें।
  • एक वेदी पर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें।
  • इसके बाद चमेली के तेल का दीपक जलाएं।
  • तुलसी व गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें।
  • गुड़, लड्डू आदि का भोग लगाएं।
  • सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • आरती से पूजा को समाप्त करें।
  • पूजा के बाद शंखनाद करें।
  • पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
  • अगले दिन सुबह अपने व्रत को सात्विक भोजन से खोलें।

हनुमान जयंती तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल, 2024 दिन मंगलवार को सुबह 03 बजकर 25 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 24 अप्रैल, 2024 दिन बुधवार सुबह 05 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदया​तिथि को ध्यान में रखते हुए इस बार हनुमान जयंती 23 अप्रैल को मनाई जाएगी।

रामायण की चौपाई

  • कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती।।

    सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी।।

  • मुदित मातु सब सखीं सहेली। फलित बिलोकि मनोरथ बेली।।

    राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ।।

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डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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