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    Hanuman Janmotsav 2024: हनुमान जी की पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 22 Apr 2024 07:41 PM (IST)

    Hanuman Janmotsav 2024 सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि पर स्नान-ध्यान पूजा और दान करने का विधान है। अतः बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में पूर्णिमा तिथि पर स्नान करते हैं। इसके पश्चात जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूर्णिमा तिथि पर पूजा जप-तप और दान-पुण्य करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

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    Hanuman Janmotsav 2024: हनुमान जी की पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hanuman Janmotsav 2024: हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल को है। चैत्र पूर्णिमा पर साधक भगवान श्रीराम संग हनुमान जी की विशेष पूजा करते हैं। इस अवसर पर राम मंदिरों में भव्य पूजा का आयोजन किया जाता है। साथ ही सुंदर कांड, रामायण, रामचरितमानस, हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। साधक मंदिर जाकर अपने आराध्य (राम परिवार संग हनुमान जी) के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। अगर आप भी रामभक्त हनुमान जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो चैत्र पूर्णिमा पर विधि-विधान से बजरंबली की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करें।

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    बजरंग बाण

    दोहा

    निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।

    तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥

    चौपाई

    जय हनुमन्त संत हितकारी ।

    सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।

    जन के काज बिलम्ब न कीजै ।

    आतुर दौरि महासुख दीजै ।।

    जैसे कूदी सिन्धु महि पारा ।

    सुरसा बदन पैठी विस्तारा ।।

    आगे जाय लंकिनी रोका ।

    मोरेहु लात गई सुर लोका ।।

    जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।

    सीता निरखि परम-पद लीना।।

    बाग़ उजारि सिन्धु मह बोरा ।

    अति आतुर जमकातर तोरा ।।

    अक्षय कुमार मारि संहारा ।

    लूम लपेटि लंक को जारा।।

    लाह समान लंक जरि गई ।

    जय-जय धुनि सुरपुर में भई ।।

    अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी।

    कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।।

    जय जय लखन प्रान के दाता ।

    आतुर होई दु:ख करहु निपाता ।।

    जै गिरिधर जै जै सुख सागर ।

    सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥

    ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।

    बैरिहि मारु बज्र की कीले॥

    गदा बज्र लै बैरिहि मारो ।

    महाराज प्रभु दास उबारो ।।

    ॐकार हुंकार महा प्रभु धाओ ।

    बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ ।।

    ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ।

    ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर-सीसा॥

    सत्य होहु हरी शपथ पायके ।

    राम दूत धरु मारू जायके ।।

    जय जय जय हनुमन्त अगाधा ।

    दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।

    पूजा जप-तप नेम अचारा ।

    नहिं जानत हो दास तुम्हारा ।।

    वन उपवन मग गिरि गृह मांहीं ।

    तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।

    पायं परौं कर जोरी मनावौं ।

    येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।

    जय अन्जनी कुमार बलवंता ।

    शंकर सुवन वीर हनुमंता।।

    बदन कराल काल कुलघालक।

    राम सहाय सदा प्रतिपालक ।।

    भूत प्रेत पिसाच निसाचर।

    अगिन वैताल काल मारी मर ।।

    इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की ।

    राखउ नाथ मरजाद नाम की।।

    जनकसुता हरि दास कहावो ।

    ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।

    जै जै जै धुनि होत अकासा।

    सुमिरत होत दुसह दुःख नासा ।।

    चरण शरण कर जोरि मनावौं ।

    यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।

    उठु उठु चलु तोहि राम-दोहाई ।

    पायँ परौं, कर जोरि मनाई ।।

    ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।

    ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।

    ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।

    ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल ।।

    अपने जन को तुरत उबारौ ।

    सुमिरत होय आनंद हमारौ ।।

    यह बजरंग बाण जेहि मारै।

    ताहि कहो फिर कोन उबारै ।।

    पाठ करै बजरंग बाण की ।

    हनुमत रक्षा करैं प्रान की।।

    यह बजरंग बाण जो जापैं ।

    ताते भूत-प्रेत सब कापैं ।।

    धूप देय अरु जपै हमेशा ।

    ताके तन नहिं रहै कलेसा ।।

    दोहा

    प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान ।

    तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।

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