Hanuman Ashtak: मंगलवार के दिन पूजा के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, रुके हुए काम होंगे पूरे
वैदिक पंचांग के अनुसार मंगलवार 29 अप्रैल को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया एवं तृतीया तिथि है। 29 अप्रैल को प्रदोष काल में भगवान परशुराम की पूजा की जाएगी। इस शुभ अवसर पर साधक दान-पुण्य भी करते हैं। हनुमान जी (Hanuman Ashtak) की पूजा करने से बल और बुद्धि की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मंगलवार का दिन बेहद शुभ होता है। मंगलवार के दिन राम भक्त हनुमान जी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त मंगलवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। इसके अलावा, जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिष भी जीवन में सफलता पाने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में हनुमान जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। अगर आप भी वीर बजरंगी की कृपा पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन भक्ति भाव से राम भक्त हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय हनुमान चालीसा के साथ संकट मोचन हनुमानाष्टक का पाठ करें।
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संकट मोचन हनुमानाष्टक
बाल समय रवि भक्षि लियोतब तीनहुँ लोक भयो अँधियारो।
ताहि सों त्रास भयो जग कोयह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनतीतब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो।
को नहिं जानत है जग मेंकपि संकटमोचन नाम तिहारो॥1॥
बालि की त्रास कपीस बसैगिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महा मुनि साप दियोतब चाहिय कौन बिचार बिचारो।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभुसो तुम दास के सोक निवारो।
को नहिं जानत है जग मेंकपि संकटमोचन नाम तिहारो॥2॥
अंगद के सँग लेन गये सियखोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जुबिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो।
हेरि थके तट सिंधु सबैतब लाय सिया-सुधि प्रान उबारो।
को नहिं जानत है जग मेंकपि संकटमोचन नाम तिहारो॥3॥
रावन त्रास दई सिय कोसब राक्षसि सों कहि सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभुजाय महा रजनीचर मारो।
चाहत सीय असोक सों आगि सुदै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहिं जानत है जग मेंकपि संकटमोचन नाम तिहारो॥4॥
बान लग्यो उर लछिमन केतब प्रान तजे सुत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत तबैगिरि द्रोन सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दईतब लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहिं जानत है जग मेंकपि संकटमोचन नाम तिहारो॥5॥
रावन जुद्ध अजान कियो तबनाग कि फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दलमोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जुबंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहिं जानत है जग मेंकपि संकटमोचन नाम तिहारो॥6॥
बंधु समेत जबै अहिरावनलै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिहिं पूजि भली बिधि सोंबलि देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो।
जाय सहाय भयो तब हीअहिरावन सैन्य समेत सँहारो।
को नहिं जानत है जग मेंकपि संकटमोचन नाम तिहारो॥7॥
काज कियो बड़ देवन के तुमबीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब कोजो तुमसों नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभुजो कुछ संकट होय हमारो।
को नहिं जानत है जग मेंकपि संकटमोचन नाम तिहारो॥8॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,अरू धरि लाल लँगूर।
बज्र देह दानव दलन,जय जय कपि सूर॥
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