Guru Ravidas Jayanti 2025: रविदास जयंती पर पढ़िए उनके कुछ बहुमूल्य दोहे, साथ ही जानिए अर्थ
15वीं शताब्दी में रविदास जी द्वारा लिखे गए दोहे आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने की उस समय में थे। संत रविदास जी (Guru Ravidas Jayanti 2025 Date) ने अपने दोहों के जरिए समाज की विभिन्न कुरीतियों और बुराइयों का विरोध किया है। तो चलिए पढ़ते हैं अर्थ सहित रविदास जी की कुछ अद्भुत रचनाएं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गुरु रविदास जी एक संत होने के साथ-साथ महान कवि भी रहे हैं। कई प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, उनका जन्म माघ माह की पूर्णिमा तिथि पर हुआ था। ऐसे में इस साल माघी पूर्णिमा यानी बुधवार, 12 फरवरी 2025 के दिन रविदास जयंती मनाई जाएगी। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं रविदास जी के कुछ उत्तम विचार, जो आज के समय में भी उतना ही महत्व रखते हैं।
रविदास जी के दोहे (Guru Ravidas Ke Dohe)
1. रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच,
नर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।
इस दोहे में रविदास जातिवाद का खंडन करते हुए कहते हैं कि किसी व्यक्ति ने किस जाति में जन्म लिया है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि व्यक्ति को नीचा या ऊंचा उसके कर्म ही बनाते हैं।
2. जाति-जाति में जाति हैं,
जो केतन के पात,
रैदास मनुष ना जुड़ सके,
जब तक जाति न जात।
जिस प्रकार केले के तने को छीला जाए तो पत्ते के नीचे पत्ता ही निकलता रहता है। पूरा पेड़ खत्म हो जाता है, लेकिन अंत में कुछ नहीं रहता निकलता। ठीक उस तरह इंसान के खत्म हो जाने पर भी उसकी जाति खत्म नहीं होती। अपने इस दोहे में रविदास जी कहते हैं कि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से तब तक नहीं जुड़ सकता, जब तक जातिवाद को खत्म न कर दिया जाए।
यह भी पढ़ें - Guru Ravidas Jayanti 2025: फरवरी में कब मनाई जाएगी गुरु रविदास जयंती, समाज सुधार में रहा बड़ा योगदान
3. जनम जात मत पूछिए, का जात अरू पात।
रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहिं जात कुजात॥
रविदास कहते हैं कि किसी की जाति नहीं पूछनी चाहिए, क्योंकि संसार में कोई जाति-पाति नहीं है। सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान हैं। इसलिए न तो कोई जाति अच्छी है और न ही कोई जाति बुरी।
4. पराधीनता पाप है, जान लेहु रे मीत।
रैदास दास पराधीन सौं, कौन करैहै प्रीत॥
इस दोहे में रविदास जी कहते हैं कि यह पराधीनता यानी किसी की गुलामी करना एक बड़ा पाप है। एक पराधीन व्यक्ति से कोई प्रेम नहीं करता है, बल्कि सभी उससे घृणा करते हैं।
यह भी पढ़ें - कब और कैसे ऋषि दुर्वासा का श्राप माता अंजनी के लिए बन गया वरदान?
5. ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,
पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।
इस दोहे में रविदास जी कहते हैं कि अगर किसी ब्राह्मण में कोई गुण नहीं है, तो उसे पूजनीय मानने का कोई अर्थ नहीं है। लेकिन अगर एक कोई ऐसा व्यक्ति है, जो किसी ऊंची जाति का तो नहीं है, लेकिन बहुत गुणवान है, तो वह पूजन के योग्य है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।