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    Guru Purnima 2025 Date: गुरु पूर्णिमा में इस विधि से करें पूजा, जानें डेट, टाइम और पूजन मंत्र

    Updated: Fri, 27 Jun 2025 10:47 AM (IST)

    गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो गुरुओं को समर्पित है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। वर्ष 2025 में यह 10 जुलाई को मनाई जाएगी। यह दिन महर्षि वेद व्यास जी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने महाभारत जैसे महान ग्रंथों की रचना की।

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    Guru Purnima 2025 Date: गुरु पूर्णिमा का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है। यह दिन गुरुओं को समर्पित है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी ऊंचा स्थान दिया गया है, क्योंकि गुरु ही शिष्य को ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं और उसे अज्ञान के अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं, तो आइए इस आर्टिकल में इस पावन दिन (Guru Purnima 2025 Date) से जुड़ी सभी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

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    गुरु पूर्णिमा 2025 डेट और टाइम (Guru Purnima 2025 Date And Time)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई को रात 01 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 11 जुलाई को रात 02 बजकर 06 मिनट पर होगा। ऐसे में 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा (Kab Hai Guru Purnima 2025) का पर्व मनाया जाएगा।

    गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व (Guru Purnima 2025 Significance)

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी को हिंदू धर्म के सबसे महान गुरुओं में से एक माना जाता है, जिन्होंने महाभारत जैसे महान ग्रंथों की रचना की। इस दिन उनके जन्मोत्सव को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। यह तिथि उन सभी गुरुओं के लिए है, जिन्होंने हमारे जीवन को दिशा दी है, चाहे वे माता-पिता हों, शिक्षक हों, या कोई ऐसा व्यक्ति जिसने हमें ज्ञान प्रदान किया हो।

    गुरु पूर्णिमा पूजा विधि (Guru Purnima 2025 Puja Vidhi)

    • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और पवित्र स्नान करें।
    • इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें, अगर ऐसा मुश्किल है तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
    • साफ कपड़े पहनें।
    • घर के मंदिर को साफ करें।
    • एक वेदी पर अपने गुरु की प्रतिमा स्थापित करें।
    • गुरु के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
    • उन्हें सफेद चंदन, अक्षत, फूल, जनेऊ, फल, मिठाई आदि चीजें चढ़ाएं।
    • अंत में गुरु की आरती करें और उनका आशीर्वाद लें।
    • अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें और जीवन में सही मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
    • इस दिन अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का जाप या 'ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः', 'ॐ ब्रह्म बृहस्पतये नमः' जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
    • इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या शिक्षा से जुड़ी वस्तुओं का दान जरूर करें।
     
    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।