Guru Purnima 2024: 20 या 21 जुलाई? कब है गुरु पूर्णिमा? एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन
धार्मिक मान्यता है कि आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इसी वजह से इसे गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में व्रत और पर्व पर स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। ठीक इसी प्रकार पूर्णिमा तिथि पर पूजा जप तप और दान किया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Purnima Significance: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह में गुरु पूर्णिमा का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन चंद्र देव अपने पूर्ण आकार में होते हैं। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार गुरु पूर्णिमा की डेट को लेकर लोग अधिक कन्फ्यूज हो रहे हैं। कुछ लोग गुरु पूर्णिमा 20 जुलाई की बता रहे हैं। वहीं, कुछ लोग गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाने की बात कह रहे हैं। आइए इस लेख में हम आपको हिंदू पंचांग के अनुसार बताएंगे कि गुरु पूर्णिमा की सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
गुरु पूर्णिमा 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Guru Purnima 2024 Date and Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई दिन शनिवार को शाम 05 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि की समाप्ति अगले दिन 21 जुलाई, 2024 दिन रविवार को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगी। उदयातिथि को देखते हुए गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि (Guru Purnima Puja Vidhi)
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी और दिन की शुरुआत भगवान विष्णु और वेदों के रचयिता वेद व्यास जी के ध्यान से करें। गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। साफ वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस दौरान इस मंत्र का जप करें।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः
इसके पश्चात श्री हरि और वेद व्यास जी को फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, हल्दी, दूर्वा आदि चीजें अर्पित करें। साथ ही दीपक जलाकर आरती करें। भगवान विष्णु और गुरु चालीसा और गुरु कवच का पाठ करें। प्रभु को खीर और फल समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। अंत में सच्चे मन से बल, बुद्धि, विद्या, सुख और समृद्धि की कामना करें। इस दिन श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न, धन और वस्त्र का दान करें।
भगवान विष्णु के मंत्र
1. ॐ नमोः नारायणाय।।
2. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।।
3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।।
4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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