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    Pradosh Vrat 2025: इन शुभ योग में रखा जा रहा है गुरु प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि और शिव जी का प्रिय भोग

    गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन शिव परिवार की विधि-विधान से पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस गुरु प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) पर भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए कुछ ऐसे नियम इस आर्टिकल में बताए गए हैं जिनका पालन हर किसी को करना चाहिए।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 10 Apr 2025 09:22 AM (IST)
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    Pradosh Vrat 2025: गुरु प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज गुरु प्रदोष व्रत है, जो भगवान शिव को समर्पित है। त्रयोदशी तिथि में पड़ने वाला यह व्रत भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष महत्व रखता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी इच्छाएं पूरी होती हैं, तो आइए गुरु प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Shubh Muhurat)

    • प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त - शाम 06 बजकर 54 मिनट से रात 09 बजकर 11 मिनट तक
    • अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक
    • रवि योग - दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से 11 अप्रैल सुबह 06 बजकर 23 मिनट तक

    गुरु प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व (Pradosh Vrat 2025 Significance)

    प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। जब यह व्रत गुरुवार के दिन पड़ता है, तो इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को ज्ञान, विद्या, भाग्य और समृद्धि का कारक माना गया है। इसलिए, गुरु प्रदोष व्रत करने से इन क्षेत्रों में विशेष लाभ प्राप्त होता है। ऐसे में जो साधक इस व्रत का पालन करते हैं, उनकी आध्यात्मिक उन्नति होती है। साथ ही सभी काम सिद्ध होते हैं।

    गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)

    • सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें।
    • व्रत का संकल्प लें।
    • आप निर्जला व्रत रख सकते हैं या फलाहार कर सकते हैं।
    • अपनी श्रद्धा और शक्ति के अनुसार व्रत का पालन करें।
    • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
    • भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें।
    • भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें।
    • उन्हें जनेऊ, चंदन, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें।
    • प्रदोष काल में भगवान शिव की विधिवत पूजा करें।
    • 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
    • प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
    • भगवान शिव की आरती करें।
    • भगवान शिव को भोग लगाएं।
    • अगले दिन व्रत का पालन प्रसाद से करें और कुछ दान-दक्षिणा करें।

    गुरु प्रदोष व्रत भोग (Pradosh Vrat 2025 Bhog)

    भगवान शिव को भोग में सात्विक भोजन अर्पित किया जाता है। आप उन्हें दूध से बनी मिठाई, फल, सूखे मेवे या अपनी श्रद्धा अनुसार कोई भी शुद्ध भोजन अर्पित कर सकते हैं। कुछ लोग इस दिन विशेष रूप से जौ का सत्तू और घी का भोग लगाते हैं। कहा जाता है कि जो साधक सच्ची श्रद्धा से शिव जो को उनका प्रिय भोग लगाते हैं, उनके घर की दरिद्रता का नाश हो जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।