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    Guru Gobind Singh Jayanti 2025: कब और किसने की खालसा पंथ की स्थापना, क्या है इसका महत्व

    Updated: Mon, 06 Jan 2025 12:18 PM (IST)

    सिख धर्म के लोग गुरु गोबिंद सिंह जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti 2025) के पर्व को बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं। हर साल इस पर्व को पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में गुरबाणी और लंगर का विशेष आयोजन किया जाता है। इस मौके पर आपको बताते हैं कि खालसा पंथ की स्थापना का इतिहास।

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    Guru Gobind Singh Jayanti 2025: गुरु गोबिंद सिंह ने दिए हैं कई अनमोल विचार

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सिख धर्म के 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह की जयंती आज यानी 06 जनवरी को मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बिहार में गुरु गोबिंद सिंह ( Guru Gobind Singh Jayanti 2025) का जन्म हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह जी अपने जीवनकाल के दौरान धर्म और सच्चाई के रास्ते को अपनाकर लोगों की सेवा की थी। गुरु गोबिंद सिंह जी के पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था। उन्हें बचपन में गोबिंद के नाम से पुकारा जाता था।

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    जानकारी के लिए बता दें कि सिख धर्म के नियम का पालन और सिखों के एक विशेष समूह को खालसा पंथ कहा जाता है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि खालसा पंथ की स्थापना कब और किसने (Who Founded Khalsa Panth) की? क्या आपको इस सवाल का जवाब पता है। अगर नहीं पता, तो ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में हम आपको खालसा पंथ के इतिहास के बारे में विस्तार से बताएंगे।

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    Pic Credit - Freepik

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने 13 अप्रैल,1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसे सिखों के इतिहास के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। इस पंथ की स्थापना के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में सिख धर्म से जुड़े लोगों के लिए बैसाखी के शुभ अवसर पर एकतित्र होने के लिए कहा गया। इसके बाद गुरु गोबिंद सिंह जी ने स्वंय सेवक को आगे आने के लिए कहा। स्वंय सेवक में वे लोग शामिल थे जो बलिदान देने के लिए तैयार थे। उनके कहने पर 5 लोग आगे आए, जिन्हे पंच प्यारे कहा गया। ये वो पंज प्यारे थे, जो धर्म की रक्षा के लिए अपना सिर कटाने के लिए तैयार हो गए थे।  

    खालसा पंथ का महत्व (Khalsa Panth significance)

    खालसा पंथ ने सिख धर्म को एक नई राजनीतिक और धार्मिक दृष्टि दी। इस पंथ ने हमेशा सिख धर्म की मान्यताओं और प्रथाओं की रक्षा की। इसके अलावा खालसा पंथ सिख धर्म के बारे में समाज के लोगों को जागरूक करने का काम किया। साथ ही  सामाजिक न्याय और समानता बढ़ावा दिया।  

    खालसा पंथ के नियम

    • खालसा पंथ के लोगों को जीवन में हमेशा एक-दूसरे से सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए।
    • किसी से बातचीत के दौरान गलत भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
    • इसके अलावा जीवन में गलत पापों को करने से बचना चाहिए।
    • सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।