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    Guru Gobind Singh Jayanti 2025: जीवन जीने की नई राह दिखाते हैं गुरु गोविंद सिंह के ये अनमोल विचार

    गुरु गोविंद सिंह जी ने सन 1699 में वैशाखी के शुभ अवसर पर खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसके साथ ही गुरु जी (Guru Gobind Singh Jayanti 2025) ने पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को पूर्ण किया। इस समय उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को आध्यात्मिक गुरु का रूप दिया। गुरु गोविंद सिंह के पिता का नाम श्री गुरु तेग बहादुर जी और माता का नाम गुजरी था।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 01 Jan 2025 06:16 PM (IST)
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    Guru Gobind Singh Jayanti 2025: गुरु गोविंद सिंह की जीवनी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, सोमवार 06 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जयंती है। सिख धर्म के अनुयायी पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर धूमधाम से गुरु गोविंद सिंह जयंती मनाते हैं। गुरु गोविंद सिंह जी सिख धर्म के दसवें गुरु थे। इनका जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। अतः हर वर्ष पौष माह के शुक्ल पक्ष में गुरु गोविंद सिंह जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर, सन 1666 को बिहार के पटना में हुआ था। गुरु गोविंद सिंह बाल्यकाल से बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। आध्यात्म में गुरु गोविंद सिंह जी की गहरी रुचि थी। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई ग्रंथों की रचना की। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। सामान्य व्यक्ति भी गुरु गोविंद सिंह जी के विचार को आत्मसात (ग्रहण) कर अपने जीवन में सफल हो सकता है। आसान शब्दों में कहें तो गुरु गोविंद सिंह जी के विचार जीवन जीने की नई राह दिखाते हैं।

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    अनमोल वचन 

    1. सत्य कर्म के द्वारा सच्चा गुरु प्राप्त होता है और गुरु के मार्गदर्शन से भगवान मिलते हैं।

    2. आप अपने द्वारा किए गए अच्छे कर्मों से ही ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं और ईश्वर भी हमेशा अच्छे कर्म करने वालों की सहायता करते हैं।

    3. छोटे से छोटे काम में भी लापरवाही न बरतें। सभी कार्यों को लगन और मेहनत के साथ करें।

    4. एक सुंदर जीवन के लिए आहार और व्यायाम ही काफी नहीं है, बल्कि गरीब और बेसहारा लोगों की सेवा भी जरूरी है।

    5. किसी भी व्यक्ति की चुगली और निंदा करने से बचें और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय अपने कर्म पर ध्यान दें।

    6. इंसान को सबसे वैभवशाली सुख और स्थायी शांति तब ही प्राप्त होती है, जब कोई अपने भीतर बैठे स्वार्थ को पूरी तरह से समाप्त कर देता है।

    7. परम पिता परमेश्वर के नाम के अलावा कोई भी आपका मित्र नहीं है, ईश्वर के सेवक यह चिंतन करते हैं और सब में ईश्वर को देखते हैं।

    8. अगर आप केवल भविष्य के विषय में ही सोचते रहेंगे, तो वर्तमान को भी खो देंगे।

    9. भगवान ने हम सभी को जन्म दिया है, ताकि हम इस संसार में अच्छे कार्य करें और समाज में फैली बुराई को दूर करें।

    10. जब आप अपने अंदर बैठे अहंकार को मिटा देंगे, तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।