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    Guru Gobind Singh Jayanti 2025: गुरु गोबिंद सिंह जी के ये 5 अनमोल उपदेश, आपके अंदर भर देंगे साहस

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 09:02 AM (IST)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल की सप्तमी तिथि पर हुआ था। उनके उपदेश साहस, समानता, न्याय और भक्ति का अद्भुत मिश्र ...और पढ़ें

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    गुरु गोबिंद सिंह जयंती (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सिख धर्म में गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती विशेष महत्व रखती है। गुरु गोबिंद सिंह जी सिख धर्म के 10वें सिख गुरु थे, जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी। साथ ही उन्होंने खालसा पंथ की रक्षा के लिए मुगलों से 14 बार युद्ध भी किया था। इस बार शनिवार, 27 दिसंबर 2025 को गुरु गोबिंद सिंह जयंती (guru govind singh jayanti 2025) मनाई जा रही है। ऐसे में चलिए जानते है उनके कुछ प्रमुख वचन और उपदेश।

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    गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेश -

    1. साच कहों सुन लेह सभी, जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभ पायो"

    गुरु गोबिंद सिंह (guru govind singh ji) जी के इस कथन का अर्थ है कि मैं सच कहता हूं, सब सुन लो, जिन्होंने प्रेम किया है, उन्होंने ही प्रभु को पाया है। इसमें वह बताते हैं कि ईश्वर की प्राप्ति केवल उन्हीं लोगों को होती है, जो सच्चा प्रेम करता है।

    2. मानस की जात सबै एकै पहचानबो"

    Guru Gobind Singh i

    (AI Generated Image)

    इसका अर्थ है कि समस्त मानव जाति को एक ही पहचानो। अर्थात मनुष्य की सारी जातियां एक ही हैं, सबको एक समान मानना चाहिए।

    3. चूं कार अज हमह हीलते दर गुजश्त, हलाल अस्त बुरदन ब शमशीर दस्त"

    गुरु गोबिंद सिंह जी कहते हैं कि जब सभी शांतिपूर्ण उपाय विफल हो जाएं, तब न्याय के लिए तलवार उठाना वैध है। अर्थात संघर्ष के दौरान जब धर्म और न्याय के लिए शांतिपूर्ण तरीके काम न आएं, तभी व्यक्ति को विद्रोह का सहारा लेना चाहिए।

    4. "देहि शिवा बरु मोहि इहै, सुभ करमन ते कभुं न टरों।"

    इसमें गुरु गोबिंद सिंह जी (Guru Gobind Singh) कहते हैं कि हे ईश्वर, मुझे यह वरदान दें कि मैं कभी भी शुभ कर्म करने से पीछे न हटूं।

    Guru Gobind Singh Jayanti AI

    (AI Generated Image)

    5. “सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं

    गुरु गोबिंद सिंह जी की ये पंक्तियां उस अमर शौर्य और बलिदान का को दर्शाती हैं, जब सिख वीरों ने अपने सिर कटवा लिए, लेकिन विदेशी आक्रांताओं के सामने घुटने नहीं टेके। यह पंक्ति आज भी लोगों में शौर्य भरने का काम करती है।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।