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    Gupt Navratri June 2025: नवरात्र के आठवें दिन करें मां गौरी की पूजा, नोट करें पूजन विधि

    नवरात्र के आठवें दिन यानी महाअष्टमी तिथि को देवी महागौरी की पूजा की जाती है। मां गौरी की पूजा करने से अन्न-धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। वह जीवन में सभी कष्टों को दूर करके पापों से मुक्ति दिलाती हैं।

    By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Tue, 24 Jun 2025 02:24 PM (IST)
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    महागौरी को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। 

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ गुप्त नवरात्र 2025 की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस बार 3 जुलाई 2025 को गुरुवार के दिन है। अष्टमी के दिन ही नौ कन्याओं को देवी के स्वरूप मानकर उन्हें कन्या भोज कराया जाता है। इसके बाद उन्हें उपहार और दक्षिणा देकर विदा किया जाता है।

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    महागौरी को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उनका रंग गोरा है इसीलिए उनको महागौरी कहा जाता है। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है। एक हाथ अभय मुद्रा में हैं और चौथा हाथ वर मुद्रा में है। वह सफेद वस्त्र और आभूषण धारण करती हैं।

    चार भुजाओं वाली मां गौरी बैल की सवारी करती हैं। वह भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, इसीलिए वह शिव के साथ विराजमान रहती हैं। महागौरी को पूड़ी, चना और हलवा का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही उन्हें सफेद रंग की मिठाई का भी भोग लगाया जाता है।

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    ऐसे करें पूजा

    नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा के लिए सुबह स्नान आदि करने के बाद मंदिर को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें। एक चौकी पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर मां गौरी की मूर्ति या तस्वीर को रख लें। इसके बाद में उन्हें सफेद फूल, फल, नैवैद्य, धूप, दीप अर्पित करें।

    इन मंत्रों का जाप करें

    देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
    महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

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    मां महागौरी आरती

    जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
    हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवासा॥
    चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
    भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
    हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
    सती हवन कुण्ड में था जलाया। उसी धुयें ने रूप काली बनाया॥
    बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
    तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आने वाले का संकट मिटाया॥
    शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
    भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥

    इस आरती के बाद माता को भोग लगाएं और फिर 7 या 9 कन्याओं को घर बुलाएं। उनके पैर धुलाकर उन्हें भोज कराएं। इसके बाद उपहार और दक्षिणा आदि देकर उन्हें विदा करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।