Gupt Navratri 2025: देवी पार्वती ने क्यों लिया था मां काली का स्वरूप?
हिंदू धर्म में मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा का बहुत महत्व है। मां दुर्गा (Gupt Navratri 2025 Puja Vidhi) की पूजा के लिए सबसे प्रमुख पर्वों में से एक माघ गुप्त नवरात्र है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान देवी के काली स्वरूप की आराधना भी जरूर करनी चाहिए। इससे स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्र का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह पर्व पूरी तरह से देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा के लिए समर्पित है। हिंदू धर्म में साल में चार बार नवरात्र आते हैं- माघ गुप्त नवरात्र, चैत्र नवरात्र, शारदीय नवरात्र और आषाढ़ गुप्त नवरात्र। नवरात्र का अर्थ है मां दुर्गा को समर्पित नौ दिन और नौ रातें।
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 में माघ गुप्त नवरात्र की शुरुआत 30 जनवरी 2025 को शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हुई है। वहीं, इसका समापन कल यानी बुधवार 07 फरवरी को होगा।
माता पार्वती ने क्यों लिया था मां काली का स्वरूप?
प्रचलित हिंदू कथाओं के अनुसार, मां पार्वती ने शुंभ और निशुंभ राक्षसों को मारने के लिए देवी काली का रूप लिया था। वे माता पार्वती का सबसे उग्र रूप हैं। मां कालरात्रि का रंग सांवला है और वो गधे की सवारी करती हैं। इसके साथ ही उन्हें चार हाथों से दर्शाया गया है - उनके दाहिने हाथ अभय और वरद मुद्रा में हैं, और उनके बाएं हाथ में तलवार और घातक लोहे का हुक है।
ऐसा कहते हैं कि जितना ही मां का यह रूप विकराल है उतना ही उनका हृदय करुणा से भरा हुआ है। वे अपने भक्तों की सदैव रक्षा करती हैं।
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ऐसे प्राप्त करें मां की कृपा
ऐसे में आज माघ गुप्त नवरात्र का नौवा दिन है। इस दिन देवी पार्वती के काली स्वरूप की पूजा का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इस दिन शुंभ और निशुंभ को मारने वाली मां काली की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है। ऐसे में नवरात्र के दौरान मां के किसी भी मंदिर जाएं और उनका दर्शन करें।
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