Gupt Navratri 2025: तंत्र-साधना में 10 महाविद्या कौन-कौन सी हैं? अनोखा है इनका स्वरूप
सनातन धर्म में देवी पूजन का विशेष महत्व है। गुप्त नवरात्र मां दुर्गा (Gupt Navratri 2025 Mahavidya Sadhna) की पूजा के लिए बहुत ही पावन समय माना जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा होती है। ऐसा कहते हैं कि जो लोग इस दौरान कठिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में गुप्त नवरात्र का पर्व बहुत मंगलकारी माना जाता है। यह पर्व पूरी तरह से मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा के लिए समर्पित है। हिंदू धर्म में साल में चार बार नवरात्र आते हैं- माघ गुप्त नवरात्र, चैत्र नवरात्र, शारदीय नवरात्र और आषाढ़ गुप्त नवरात्र। नवरात्र का अर्थ है मां दुर्गा को समर्पित नौ दिन और नौ रातें।
वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी दिन बुधवार 07 फरवरी को गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025) का आखिरी दिन है, तो आइए दस महाविद्याओं के स्वरूप के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बेहद दिव्य है दस महाविद्याओं का स्वरूप (Mahavidya Tantric Sadhana)
देवी काली
देवी काली मां दुर्गा का सबसे उग्र और शक्तिशाली रूप हैं। वे अज्ञानता के विनाश और दिव्य ज्ञान की विजय का प्रतिनिधित्व करती हैं। काली माता को अक्सर मुंड माला और हाथ में कटा हुआ सिर लिए हुए दिखाया जाता है।
देवी तारा
मां तारा करुणा और सुरक्षा से जुड़ी देवी हैं। उन्हें दूसरी महाविद्या माना जाता है। देवी को जीवन की चुनौतियों के माध्यम से एक मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता है। साथ ही वे अपने भक्तों का पोषण करती हैं और उन्हें सुरक्षा प्रदान करती हैं।
देवी त्रिपुर सुंदरी
मां देवी त्रिपुर सुंदरी का रूप बहुत मनमोहक है। वे प्रेम और आनंद का प्रतिनिधित्व करती हैं। देवी माथे पर अर्धचंद्र विराजमान है, जो सौंदर्य और सद्भाव से जुड़ा हुआ है।
देवी भुवनेश्वरी
देवी भुवनेश्वरी पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित करती हैं। साथ ही वे विस्तार और ब्रह्मांडीय चेतना से जुड़ी है।
देवी भैरवी
मां भैरवी देवी का उग्र स्वरूप हैं, जो विनाश का प्रतीक मानी जाती हैं। देवी को परिवर्तनकारी शक्ति से जोड़ा जाता है।
देवी छिन्नमस्ता
देवी छिन्नमस्ता माता रानी का छठवां अवतार हैं। उन्होंने एक हाथ में स्वयं का ही कटा हुआ सिर धारण कर रखा है। मां का यह स्वरूप आत्म-बलिदान और अहंकार के अंत का प्रतीक है।
देवी धूमावती
मां धूमावती सातवीं महाविद्या हैं। वे देवी का विधवा रूप हैं और वह सफेद कपड़े धारण करती हैं। साथ ही अपने बालों को खुले रखती हैं। मां की पूजा से सभी दुख-तकलीफों का अंत होता है।
देवी बगलामुखी
बगलामुखी माता आठवीं महाविद्या हैं। उन्हें बगलामुखी मां को पीतांबरा, बगला, वल्गामुखी, बगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है। देवी अपने भक्तों की सभी शत्रुओं से रक्षा करती हैं।
देवी मातंगी
देवी मातंगी संगीत और कला की देवी हैं। वे ज्ञान और रचनात्मकता से जुड़ी हैं।
देवी कमला
देवी कमला, जिन्हें लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। मां धन और प्रचुरता की देवी हैं। देवी की पूजा करने से धन-दौलत व अन्य भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
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