Gupt Navratri 2025 Date: कब मनाई जाएगी गुप्त नवरात्र की अष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि
सनातन शास्त्रों में मां दुर्गा की महिमा का गुणगान किया गया है। मां दुर्गा (Gupt Navratri 2025 Puja Vidhi) के शरणागत रहने वाले साधकों को स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। मां अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। इस शुभ अवसर पर शक्तिपीठ मंदिरों में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में माघ महीने का विशेष महत्व है। इस माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान जगत की देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। गुप्त साधना करने वाले साधक दस महाविद्या की देवियों की पूजा करते हैं। साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए मां बगलामुखी की कठिन साधना करते हैं। आइए, गुप्त नवरात्र की अष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-
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अष्टमी शुभ मुहूर्त (Magh Gupt Navratri Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 05 फरवरी को देर रात 02 बजकर 30 मिनट पर होगी और समाप्ति 06 फरवरी को देर रात 12 बजकर 35 मिनट पर होगी। जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा निशा काल में होती है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 05 फरवरी को माघ गुप्त नवरात्र की अष्टमी है।
मासिक दुर्गा अष्टमी शुभ योग (Masik Durga Ashtami Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो माघ गुप्त नवरात्र की अष्टमी तिथि पर ब्रह्म और शुक्ल योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस शुभ अवसर पर भद्रा स्वर्ग में रहेंगी। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साधक अपनी सुविधा के अनुसार समय पर मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 04 मिनट पर
- चन्द्रोदय- सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर
- चंद्रास्त- देर रात 01 बजकर 30 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 15 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 25 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 01 मिनट से 06 बजकर 27 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक
पूजा विधि
साधक गुप्त नवरात्र की अष्टमी पर ब्रह्म बेला में उठें। इस समय मां दुर्गा को ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर लाल रंग के कपड़े पहनें। अब सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा घर में एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या छवि स्थापित करें।
अब पंचोपचार कर मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा करें। मां दुर्गा को फल, फूल, हलवा, पूरी, मिठाई और श्रीफल आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। पूजा का समापन दुर्गा आरती करें। संध्याकाल में आरती के बाद फलाहार करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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