Gita Jayanti 2025 Date: कब है गीता जयंती? यहां नोट करें शुभ मुहूर्त और महत्व
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती मनाई जाती है। 2025 में यह 1 दिसंबर को पड़ेगी। इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से मोक्ष और मनचाही मुरादें पूरी होती हैं। शिववास योग और अभिजीत मुहूर्त जैसे शुभ योग भी बन रहे हैं, जो पूजा को और भी फलदायी बनाते हैं।

Gita Jayanti 2025 Date: गीता जयंती का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2025) मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर साधक व्रत रख लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा करते हैं। मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति विशेष को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सनातन शास्त्रों में निहित है कि द्वापर युग में अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में अपने परम शिष्य अर्जुन को गीता का ज्ञान (Bhagavad Gita teachings) दिया था। अतः हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर लीलाधारी भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है। आइए, गीता जयंती की सही तिथि (Gita Jayanti 2025 celebrations), शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-
गीता जयंती 2025 शुभ मुहूर्त (Gita Jayanti 2025 Date And Muhurat)
     पंचांग के अनुसार, अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 नवंबर को रात 09 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी और 01 दिसंबर को शाम 07 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए सोमवार 01 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी।
गीता जयंती शुभ योग (Gita Jayanti 2025 Shubh Yoga)
     ज्योतिषियों की मानें तो अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को शिववास योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग है। इन योग में भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही मनचाही मुराद पूरी होगी।
भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र
1. ॐ कृष्णाय नमः
2. हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।
3. ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
4. ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात
5. ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे।
सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।
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