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    Gayatri Jayanti 2025: जून महीने में कब है गायत्री जयंती? यहां पता करें डेट और शुभ मुहूर्त

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 13 May 2025 08:28 PM (IST)

    ज्येष्ठ का महीना बेहद पावन होता है। इस महीने में बेहद पुण्यकारी निर्जला एकादशी मनाई जाती है। इसके साथ ही गायत्री जयंती (Gayatri Jayanti 2025 Kab Hai) मनाई जाती है। देवी मां गायत्री की पूजा करने से सभी दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

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    Gayatri Jayanti 2025: देवी मां गायत्री की पूजा कैसे करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। यह पर्व पूर्णतया देवी मां गायत्री को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर देवी मां गायत्री की पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि मां गायत्री की पूजा एवं साधना करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही साधक सत्मार्ग पर चलता है। इसके लिए देवी मां गायत्री की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही गायत्री मंत्र का जप किया जाता है।

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    गायत्री जयंती शुभ मुहूर्त (Gayatri Jayanti 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 06 जून को देर रात 02 बजकर 15 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी। वहीं, 07 जून को सुबह 04 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 06 जून को गायत्री जयंती मनाई जाएगी।

    गायत्री जयंती शुभ योग (Gayatri Jayanti 2025 Shubh Yoga)

    गायत्री जंयती के शुभ अवसर पर वरीयान योग, रवि योग और भद्रावास का संयोग बन रहा है। भद्रावास योग का संयोग दोपहर 03 बजकर 31 मिनट तक है। इस दौरान भद्रा पाताल में रहेंगी।

    गायत्री जयंती पूजा विधि (Gayatri Jayanti Puja Vidhi)

    गायत्री जयंती के दिन ब्रह्मा बेला में उठें। इसके बाद दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर पीले या लाल रंग के कपड़े पहनें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसी समय आप गायत्री मंत्र का जप कर सकते हैं।

    ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ||

    इसके बाद पंचोपचार कर भक्ति भाव से मां गायत्री की पूजा करें। पूजा के समय देवी मां गायत्री को फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें। वहीं, पूजा का समापन गायत्री आरती से करें।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।