Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ganga Katha: जल्द ही धरती से स्वर्ग लौटेंगी पतित पाविनी मां गंगा, वेद-पुराणों में बताया है समय

    Updated: Wed, 15 Jan 2025 01:57 PM (IST)

    प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है जिसकी शुरुआत 13 जनवरी 2025 को हुई थी। रोजाना भक्तों की बड़ी संख्या गंगा में डुबकी लगाने के लिए कुंभ मेले में पंहुच रही है। ऐसा कहा जाता है कि गंगा में डुबकी लगाने मात्र से साधक के सारे पाप धुल जाते हैं इसलिए गंगा मां को पतित पाविनी भी कहा जाता है।

    Hero Image
    Ganga Katha किस कारण गंगा माता हो जाएंगी रुष्ट।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में गंगा को केवल एक नदी के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि देवी की तरह पूजनीय और पवित्र माना जाता है। यही कारण है कि गंगा को माता कहकर संबोधित किया जाता है। धार्मिक पुराणों में गंगा के धरती पर अवतरण की कथा मिलती है। साथ ही इस बात का भी वर्णन मिलता है कि गंगा माता धरती से कब स्वर्ग लोक को वापस लौटेंगी। चलिए जानते हैं इस बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कैसे हुआ था धरती पर आगमन

    पौराणिक कथा के अनुसार, मां गंगा का धरती पर आगमन राजा भागीरथ की तपस्या के कारण हुआ। कथा के अनुसार, राजा भागीरथ अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने हिमालय में जाकर कठोर तपस्या की। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ दिया। लेकिन गंगा की गति बहुत अधिक थी, जिस कारण भगवान शंकर ने गंगा को पहले अपनी जटाओं में धारण किया और उसके बाद धरती पर उतारा।

    किसमें मिलता है वर्णन

    श्रीमद्देवीभागवत पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि गंगा माता की स्वर्ग को वापसी कब हो रही है। इस ग्रंथ के अनुसार, भगवान विष्णु ने नारद जी को इस विषय में बताया था। प्रभु श्रीहरि ने नारद जी से कहा कि कलयुग में 5000 साल बीतने के बाद जब धरती पर पाप बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगे, तो धर्म की हानि होने लगेगी। लोगों के मन में लोभ-लालच और वासना का वास होगा और लोगों के पाप इतने बढ़ जाएंगे कि गंगा में स्नान करने से भी उन्हें कोई लाभ नहीं मिलेगा। तब मां गंगा पृथ्वीवासियों से रुठकर होकर पुनः स्वर्ग लोक को लौट जाएंगी।

    यह भी पढ़ें - Magh Gupt Navratri 2025: कब से शुरू है माघ गुप्त नवरात्र? नोट करें कलश स्थापना मुहूर्त और पूजा विधि

    विलुप्त हो रहा ग्लेशियर

    गंंगा नदी, गंगोत्री ग्लेशियर के आखिरी छोर यानी गोमुख ग्लेशियर के पिघलने से निलकलती हैं, जो धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है। ऐसे में वैज्ञानिक दृष्टि से भी गंगा नदी के धरती से विलुप्त होने की बात कहीं-न-कहीं सच साबित होती है। कहा जाता है कि मनुष्य जाति में पाप बहुत अधिक बढ़ने के कारण ही सरस्वती और पद्मा नदी धरती से विदा लेकर, स्वर्गलोक को जा चुकी हैं।

    यह भी पढ़ें - Mahakumbh 2025: पितृ दोष से छुटकारा पाने का अच्छा अवसर है महाकुंभ, जरूर करें ये उपाय

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

    comedy show banner
    comedy show banner