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    Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा पर किन कामों से मिलेगी पापमोचनी की कृपा, यहां जानिए

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 08:06 AM (IST)

    गंगा दशहरा हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन पर गंगा स्नान और दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और पाप नष्ट होते हैं। ऐसे में आप इस विशेष दिन पर कुछ खास उपाय करके घर बैठे ही मां गंगा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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    Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा पर क्या करना चाहिए?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ऐसा माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान-दान आदि करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है और दस तरह के पापों का हरण होता है। बार गंगा दशहरा का पर्व 5 जून को मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि पर मां गंगा देवलोक से पृथ्वीलोक पर अवतरित हुई थीं, इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाने की प्रथा चली आ रही है।

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    गंगा दशहरा का शुभ योग

    • हस्त नक्षत्र प्रारंभ - जून 5 प्रातः 3 बजकर 35 मिनट से
    • हस्त नक्षत्र समाप्त - जून 6 प्रातः 6 बजकर 34 मिनट तक
    • व्यतीपात योग प्रारंभ - जून 5 सुबह 09 बजकर 14 मिनट से
    • व्यतीपात योग समाप्त - जून 6 सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक

    (Picture Credit: Freepik)

    जरूर करें ये काम

    यदि आप किसी कारणवश गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते, तो ऐसे में घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। इससे भी आपको मां गंगा की कृपा की प्राप्ति होती है। इसी के साथ घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए, इससे आपको वास्तु दोषों से छुटकारा मिल सकता है।

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    जरूर करें ये दान

    गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की कृपा के लिए मिट्टी के मटके में जल भरकर दान करें। इसी के साथ इस दिन पर आपको सफेद वस्त्र, नींबू पानी, ठंडाई और मौसमी फलों का दान करने से भी लाभ मिल सकता है। गंगा दशहरा के दिन इन चीजों के दान से साधक को महादेव की कृपा की भी प्राप्ति होती है। 

    करें इन मंत्रों का जप

    • ॐ नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा॥
    • “गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति
    • गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं । त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां
    • गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति! नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु
    • ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
    • गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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