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    Ganga Dussehra 2025: गंगा दशहरा पर पाना चाहते हैं मां लक्ष्मी की कृपा, तो जरूर कर लें ये उपाय

    गंगा दशहरा पर गंगा स्नान का महत्व है जिससे पूर्वजों को शांति मिलती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा से उनकी कृपा प्राप्त होती है। पीली कौड़ी को घर लाकर पूजा करके लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं होती। गंगा दशहरा पर भोलेनाथ की पूजा से कष्ट दूर होते हैं।

    By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Tue, 27 May 2025 05:19 PM (IST)
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    इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करने से उनकी कृपा मिलती है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान राम से 20 पीढ़ी पहले जन्मे राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों सगर के साठ हजार पुत्रों का उद्धार किया था। इसके लिए उन्होंने कठिन तपस्या की और मां गंगा को धरती पर लेकर लाए थे।

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    गंगा दशहरा पर पवित्र गंगा स्नान करने से मां गंगा का आशीर्वाद मिलता है। पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति, शांति और मोक्ष मिलता है। वहीं, इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करने से उनकी कृपा मिलती है। इस साल 5 जून को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

    पीली कौड़ियों को लाएं 

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरे के दिन घर पर पीली कौड़ी को लाना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इन कौड़ियों की पूजा करने के बाद लाल रंग के कपड़े में बांधकर उन्हें तिजोरी में रखने से घर में कभी लक्ष्मी की कमी नहीं होती है।

    मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन मां लक्ष्मी से जुड़ी एक चीज झाड़ू खरीदना अत्यंत शुभ होता है। यह घर से गंदगी को दूर करके घर में पॉजिटिव एनर्जी बढ़ाती है। मां लक्ष्मी से संबंधित होने की वजह से झाड़ू लाने से मां की कृपा होती है और धन-धान्य की कमी नहीं होती है। 

    नए कपड़े खरीदें और दान भी करें

    कहा जाता है कि गंगा दशहरा पर नए कपड़ों को खरीदने से शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को नए सूती वस्त्र दान करने का भी विधान है। ऐसा करने से जीवन में खुशियां आती हैं।  

    गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान के बाद गंगा जल घर पर लाना न भूलें। इसके बाद उस जल को पूरे घर में छिड़कना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से घर से निगेटिव एनर्जी दूर होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। 

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    रुद्राभिषेक और पूजन करें

    इन सब से भी ऊपर गंगा दशहरा पर गंगा पूजन और स्नान के बाद भगवान भोलेनाथ की पूजा और रुद्राभिषेक करना चाहिए। रामचरितमानस के बालकांड में एक चौपाई है- जौं तपु करै कुमारि तुम्हारी। भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी॥ जद्यपि बर अनेक जग माहीं। एहि कहं सिव तजि दूसर नाहीं॥

    इसका अर्थ है कि यदि तुम्हारी कन्या तप करे, तो त्रिपुरारि महादेवजी होनहार को मिटा सकते हैं। यद्यपि संसार में वर अनेक हैं, पर इसके लिए शिवजी को छोड़कर दूसरा वर नहीं है॥ शिव-पार्वती के विवाह के संबंध में यह चौपाई जरूर लिखी गई है। मगर, इसका अर्थ बड़ा गहरा है। 

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    भाविउ मेट सकें त्रिपुरारी- यानी अनहोनी को होनी में बदलने की यदि किसी में क्षमता है, तो वह भगवान भोलेनाथ में है। उनकी जटा से निकली मां गंगा की गंगा दशहरा के दिन पूजा करने के बाद यदि सच्चे मन और श्रद्धा से शिव जी की पूजा की जाए, तो वह जीवन के सभी कष्टों को दूर सकते हैं।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।