बिजी शेड्यूल के चलते नहीं मिल रहा Ganesh Visarjan का समय, तो देखें शाम के ये शुभ मुहूर्त
अगले बरस गणपति जी के पुनःआगमन की कामना के साथ गणेश विर्सजन किया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले गणेश महोत्सव में अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा का विसर्जन किया जाता है। लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग दिनों पर भी गणपति जी का विसर्जन करते हैं। इस साल गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan 2025) 6 सितंबर को किया जाएगा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में गणपति जी का विसर्जन करने से व्यक्ति को शुभ परिणाम मिलते हैं। अगर आपको बिजी शेड्यूल के चलते सुबह गणपति विर्जसन का समय नहीं मिल पा रहा है, तो आप शाम के समय इन मुहूर्त (Ganesh Visarjan Evening Subh Muhurat) में भी गणपति जी का विर्जसन कर सकते हैं।
गणेश विसर्जन मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त - सुबह 7 बजकर 36 मिनट से सुबह 9 बजकर 10 मिनट तक
अपराह्न मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से शाम 5 बजकर 2 मिनट तक
शाम के लिए मुहूर्त (Ganesh Visarjan eve shubh muhurat) -
सायाह्न मुहूर्त - शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात 8 बजकर 02 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त - रात 9 बजकर 28 मिनट से देर रात 1 बजकर 45 मिनट तक
उषाकाल मुहूर्त - 7 सितंबर प्रातः 4 बजकर 36 मिनट से सुबह 6 बजकर 02 मिनट तक
गणेश विसर्जन की पूजा विधि (Ganesh Visarjan Puja vidhi)
गणपति विसर्जन के दिन सबसे पहले परिवार के साथ मिलकर गणेश जी की विधि-विधान के साथ गणेश जी की पूजा करें। पूजा में गणेश जी को लाल चंदन, लाल फूल, दूर्वा, मोदक, पान, सुपारी और धूप-दीप आदि अर्पित करें। अंत में गणेश जी की आरती करते हुए सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
संभव हो, तो इस दिन हवन भी करें। विसर्जन के समय आप गणेश जी के हाथ में लड्डू की पोटली भी रख सकते हैं। मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी अपने घर लौटते हैं, ऐसे में उन्हें खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए। बप्पा को विदा करने से पहले समय सुख-समृद्धि की कामना करें और अपनी गलतियों के लिए क्षमा-याचना करें। इसके साथ ही यह कामना करें कि बप्पा जल्द वापस लौटें और गणपति विसर्जित करें।
करें इन मंत्रों का जाप (Ganesh Visarjan Mantra)
गणेश विसर्जन के दौरान आपको बप्पा को विदा करते हुए इन मंत्रों का जप जरूर करना चाहिए। इससे आपको बप्पा का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में शुभ परिणाम मिलने लगते हैं।
- ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
- ऊँ मोदाय नम:
- ऊँ प्रमोदाय नम:
- ऊँ सुमुखाय नम:
- ऊँ दुर्मुखाय नम:
- ऊँ अविध्यनाय नम:
- ऊँ विघ्नकरत्ते नम:
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