Ganesh Ji Ki Aarti: इस आरती के बिना अधूरी है भगवान गणेश की पूजा, संवर जाती है बिगड़ी किस्मत
भगवान गणेश (Ganesh Ji Puja Vidhi) को कई नामों से जाना जाता है। गणपति बप्पा को सुखकर्ता और विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। विघ्नहर्ता का आशय दुखों को दूर करना है। देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, बुधवार 23 अप्रैल को वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि है। बुधवरा का दिन पूर्णतया भगवान गणेश को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान गणेश के निमित्त व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही खुशियों का आगमन होता है।
ज्योतिष कारोबार और करियर में तरक्की पाने के लिए बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं। साथ ही पूजा के समय भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक अर्पित करें। अगर आप भगवान गणेश को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा करें। पूजा के दौरान गणेश चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा का समापन गणेश आरती से करें।
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1. गणेश जी की आरती
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनः कमाना पूर्ति
जय देव जय देव
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनः कमाना पूर्ति
जय देव जय देव
2. ॥ श्री गणेशजी की आरती ॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।
माथे पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी॥
पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
'सूर' श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी।
कामना को पूर्ण करो,जग बलिहारी॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
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