Ganesh Chaturthi 2025: कब मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी, अभी से नोट कर लें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हिंदू धर्म में भगवान गणेश बुद्धि समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। गणेश चतुर्थी गणपति जी की आराधना के लिए एक विशेष अवसर है जो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर मनाया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि साल 2025 में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) का पर्व कब मनाया जाएगा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी का पर्व भारत के कई राज्यों खासकर महाराष्ट्र में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन पर लोग अपने घरों में गणपति जी की स्थापना करते हैं और पूरे 10 दिनों तक परिवार के साथ मिलकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। माना जाता है कि इससे पूरे परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01 बजकर 54 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 27 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए गणेश चतुर्थी का पर्व बुधवार, 27 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन पर गणेश जी की पूजा के लिए ये शुभ मुहूर्त बन रहे हैं -
गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 23 मिनट से दोपहर 01 बजकर 54 मिनट तक
इस तरह करें पूजा (Ganesh Puja Vidhi)
सबसे पहले गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि से निवृत हो जाएं। घर के मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें। पूजा-स्थल पर चौकी रखकर उसपर हरे रंग का कपड़ा बिछाएं और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
पूजा के दौरान गणेश जी को वस्त्र, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, फूल और फल अर्पित करें। दूर्वा अर्पित करते समय 'श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि' मंत्र का जाप करें। गणेश जी को उनके प्रिय मोकद व लड्डूओं का भोग लगाएं। अंत में गणेश जी के मंत्रों का जप व आरती करते हुए सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
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गणेश जी के मंत्र (Ganpat Sthapana Mantra)
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र,वक्रतुंड,गणपति गुरु गणेश
ग्लौम गणपति,ऋदि्ध पति। मेरे दूर करो क्लेश।।
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
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