Ganesh Chaturthi 2025: पहली बार कर रहे हैं गणेश जी की स्थापना, तो इन बातों का रखें ध्यान
हर साल भाद्रपद माह में बड़े ही जोरो-शोरों के साथ गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस बार इस पर्व की शुरुआत 27 अगस्त से हो रही है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में बप्पा की मूर्ति स्थापित करते हैं और 10 दिनों तक बप्पा की पूजा-अर्चना व सेवा करते हैं। यदि आप पहली बार गणेश जी की स्थापना करने जा रहे हैं तो इस बातों का ध्यान जरूर रखें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गणेश महोत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) से होती है और इस 10 दिवसीय उत्सव का समापन गणपति विसर्जन के साथ होता है। इस दौरान अगर आप इन नियमों का ध्यान रखते हैं, तो इससे आपके व आपके परिवार पर गणेश जी की कृपा बनी रहती है। चलिए जानते हैं गणेश जी की स्थापना से जुड़े कुछ नियम।
स्थापना से जुड़ी जरूरी बातें
हमेशा गणेश जी की ऐसी मूर्ति का चयन करें, जिसमें वह बैठी हुई अवस्था में हों और उनकी सूंड बाईं ओर झुकी हो। इसके साथ ही वह मूर्ति में मूषक पर विराजमान हों। घर में मंदिर या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की साफ-सफाई करने के बाद वहां गंगाजल का छिड़काव करें। गणेश जी के साथ-साथ रिद्धि-सिद्धि की भी स्थापना जरूर करें और कलश रखें।
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गणेश जी की स्थापना विधि
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर गणेश जी का ध्यान करें। स्नान-ध्यान के बाद घर और मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करें। गणेश जी की स्थापित के लिए एक मंडप सजाएं, जिसके लिए फूल, रंगोली और दीपक आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके बाद एक कलश लेकर उसमें गंगाजल, रोली, चावल, सिक्के और आम के पत्ते डालकर इसे मंडप में स्थापित कर दें। अब एक चौकी पर हरे रंग का कपड़ा बिछाएं और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।तीन बार आचमन करते हुए गणेश जी को पंचामृत से स्नान करवाएं।
इसके बाद मूर्ति के पास दीपक जलाएं और गणेश जी को वस्त्र, जनेऊ, चंदन, सुपारी व फल-फूल अर्पित करें। गणेश जी को 21 दूर्वा भी जरूर अर्पित करें। इसके साथ ही उनके प्रिय भोग जैसे मोदक व लड्डू आदि भी चढ़ाएं। अंत में सभी परिवारजन मिलकर गणेश जी की आरती करें और प्रसाद बांटें।
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स्थापना के दौरान बोलें ये मंत्र
गणेश जी की स्थापना के दौरान आप इस मंत्र का जप कर सकते हैं। इससे आपके व आपके परिवार के ऊपर गणेश जी की कृपा बनी रहती है -
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणमं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम।
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