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    Ganesh Atharvashirsha: गणेश अथर्वशीर्ष के पाठ से सभी बाधाएं होंगी दूर, इस खास दिन करें शुभकर्ता की पूजा

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sat, 16 Dec 2023 11:55 AM (IST)

    Ganesh Atharvashirsha Path बुधवार और चतुर्थी का दिन बप्पा की पूजा के लिए विशेष माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप इनमें से किसी भी दिन विघ्नहर्ता गणेश की पूजा करते हैं तो वे आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चतुर्थी के दिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना बेहद ही फलदायी होता है। तो आइए पढ़ते हैं -

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    Ganesh Atharvashirsha: गणेश अथर्वशीर्ष के पाठ से सभी बाधाएं होंगी दूर

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganesh Atharvashirsha Path: प्रथम पूजनीय भगवान गणेश की पूजा किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले की जाती है। बुधवार और चतुर्थी का दिन बप्पा की पूजा के लिए विशेष माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप इनमें से किसी भी दिन विघ्नहर्ता गणेश की पूजा करते हैं तो वे आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।

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    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चतुर्थी के दिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना बहुत ही फलदायी माना गया है। इस पाठ से आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

    ।। अथ श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्तुति ।।

    ॐ नमस्ते गणपतये।

    त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।।

    त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि।

    त्वमेव केवलं धर्तासि।।

    त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।

    त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।।

    त्वं साक्षादत्मासि नित्यम्।

    ऋतं वच्मि।। सत्यं वच्मि।।

    अव त्वं मां।। अव वक्तारं।।

    अव श्रोतारं। अवदातारं।।

    अव धातारम अवानूचानमवशिष्यं।।

    अव पश्चातात्।। अवं पुरस्तात्।।

    अवोत्तरातात्।। अव दक्षिणात्तात्।।

    अव चोर्ध्वात्तात।। अवाधरात्तात।।

    सर्वतो मां पाहिपाहि समंतात्।।

    त्वं वाङग्मयचस्त्वं चिन्मय।

    त्वं वाङग्मयचस्त्वं ब्रह्ममय:।।

    त्वं सच्चिदानंदा द्वितियोऽसि।

    त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि।

    त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।।

    सर्व जगदि‍दं त्वत्तो जायते।

    सर्व जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।

    सर्व जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।।

    सर्व जगदिदं त्वयि प्रत्येति।।

    त्वं भूमिरापोनलोऽनिलो नभ:।।

    त्वं चत्वारिवाक्पदानी।।

    त्वं गुणयत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:।

    त्वं देहत्रयातीत: त्वं कालत्रयातीत:।

    त्वं मूलाधार स्थितोऽसि नित्यं।

    त्वं शक्ति त्रयात्मक:।।

    त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यम्।

    त्वं शक्तित्रयात्मक:।।

    त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं।

    त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वं इन्द्रस्त्वं अग्निस्त्वं।

    वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुव: स्वरोम्।।

    गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।।

    अनुस्वार: परतर:।। अर्धेन्दुलसितं।।

    तारेण ऋद्धं।। एतत्तव मनुस्वरूपं।।

    गकार: पूर्व रूपं अकारो मध्यरूपं।

    अनुस्वारश्चान्त्य रूपं।। बिन्दुरूत्तर रूपं।।

    नाद: संधानं।। संहिता संधि: सैषा गणेश विद्या।।

    गणक ऋषि: निचृद्रायत्रीछंद:।। ग‍णपति देवता।।

    ॐ गं गणपतये नम:।।

    ऐसे करें अथर्वशीर्ष का पाठ

    गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करने के लिए सर्वप्रथम स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके साथ ही कुशा का आसन बिछाकर उसपर बैठें। मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश को मोदक और दुर्वा अति प्रिय है ऐसे में आप इसे अपनी पूजा में जरूर शामिल करें। कहा जाता हैं कि अगर इसका पाठ बप्पा कि किसी खास तिथी पर किया जाए तो यह बेहद फलदायी होता है।

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।