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Friendship Day: मित्रता दिवस पर जानें कृष्ण-सुदमा की सच्ची मित्रता, जब नंगे पैर दौड़ पड़े द्वारिकाधीश

Friendship Day 2021 मित्र हमारे सुख-दुख के साथी होते हैं। किसी भी परिस्थिति में मित्र हमेशा साथ खड़े होते है। भारतीय परंपरा में मित्रता की बहुत सारी कहानियां प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक कृष्ण और सुदामा की कहानी है।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 05:17 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 05:17 PM (IST)
Friendship Day: मित्रता दिवस पर जानें कृष्ण-सुदमा की सच्ची मित्रता, जब नंगे पैर दौड़ पड़े द्वारिकाधीश
Friendship Day: मित्रता दिवस पर जानें कृष्ण-सुदमा की सच्ची मित्रता, जब नंगे पैर दौड़ पड़े द्वारिकाधीश

Friendship Day 2021 : भारतीय परंपरा में मित्र का जीवन में बहुत बड़ा स्थान होता है। आज 30 जुलाई को अर्तंराष्ट्रीय मित्रता दिवस है। जीवन में माता पिता और गुरू के बाद मित्र को विशेष स्थान दिया गया है। मित्र हमारे सुख-दुख के साथी होते हैं। किसी भी परिस्थिति में मित्र हमेशा साथ खड़े होते है। भारतीय परंपरा मित्रता की बहुत सारी कहानियां प्रचलित है। इन्हीं में से एक कृष्ण और सुदामा की कहानी है। जिससे हमें मित्र के प्रति ईमानदारी, त्याग और सम्मान का भाव दिखाई देता है। जब कभी मित्रता की बात होती है तो कृष्ण और सुदामा की मिसाल दी जाती है। आज मित्रता दिवस के कृष्ण और सुदामा की कहानी जानेंगे।

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कृष्ण सुदामा और सुदामा की दोस्ती एक मिसाल है। जब कृष्ण बालपन में ऋषि संदीपन के यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उनकी मित्रता सुदामा से हुई थी। कृष्ण एक राजपरिवार में और सुदामा ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। परंतु दोनों की मित्रता का गुणगान पूरी दुनिया करती है। शिक्षा-दीक्षा समाप्त होने के बाद भगवान कृष्ण राजा बन गए वहीं दूसरी तरफ सुदामा के बुरे दौर की शुरुआत हो चुकी थी। बुरे दिन से परेशान होकर सुदामा की पत्नी ने उन्हें राजा कृष्ण से मिलने जाने के लिए कहा।

पत्नी के जिद्द को मानकर सुदामा अपने बाल सखा कृष्ण से मिलने द्वारिका गए। जब राजा कृष्ण अपने मित्र सुदामा के आने का संदेश पाकर कृष्ण नंगे पैर ही उन्हें लेने के लिए दौड़ पड़ते हैं। मित्र सुदामा की दयनीय हालत देखकर भगवान कृष्ण के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। भगवान कृष्ण ने मित्र सुदामा का पैर अपने आंसुओं से धूल दिया। यह घटना भगवान कृष्ण का अपने मित्र सुदामा के प्रति अनन्य प्रेम को दर्शाता है, इसीलिए कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल दी जाती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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