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    Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी की पूजा में क्या अर्पित करें, जिससे बनी रहे बप्पा की कृपा

    संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ दिन है। ज्येष्ठ माह में एकदंत संकष्टी चतुर्थी 16 मई को मनाई जाएगी। इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा करने से जीवन में लाभ मिलता है। चलिए जानते हैं कि आप एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर बप्पा की कृपा के लिए उन्हें कौन-सी चीजें अर्पित कर सकते हैं।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 13 May 2025 04:10 PM (IST)
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    Sankashti Chaturthi 2025 पर कैसे करें बप्पा को प्रसन्न?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। संकष्टी चतुर्थी एक मासिक उत्सव है, जिसे हर माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi) के दिन चंद्रमा का अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। ऐसे में पंचांग के अनुसार, इस दिन पर चन्द्रोदय रात 10 बजकर 39 मिनट पर होगा।

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    पूजा में चढ़ाएं ये चीजें

    एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा के दौरान आप गणेश जी को जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, फूल और फल अर्पित कर सकते हैं। इन सभी चीजों को अर्पित करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामना पूरी करते हैं। इसी के साथ गणेश जी को हरे रंग का वस्त्र अर्पित करना भी काफी शुभ माना जाता है, क्योंकि गणपति जी को हरा रंग बेहद प्रिय है।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    भोग के रूप में अर्पित करें ये चीजें

    आप एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी को मोकद के साथ-साथ, लड्डूओं का भी भोग लगा सकते हैं, जो गणेश जी को प्रिय माने गए हैं। इसी के साथ आप संकष्टी चतुर्थी के दिन मालपुए का भोग भी लगा सकते हैं। मान्यता है कि मालपुए का भोग लगाने से बप्पा जल्दी प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

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    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    इस तरह अर्पित करें दूर्वा

    एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा में गणेश जी को दूर्वा जरूर अर्पित करें। इसके लिए दूर्वा को सबसे पहले साफ पानी से धो लें, इसके बाद दूर्वा का जोड़ा बनाकर गणेश जी को 21 दूर्वा अर्पित करें। इस बात का खासतौर से ध्यान रखें कि दूर्वा किसी मंदिर, बगीचे या साफ स्थान पर उगी हुई होनी चाहिए। कभी भी गंदे स्थान या गंदे पानी में उगी हुई दुर्वा बप्पा को न चढ़ाएं। आप दूर्वा अर्पित करते समय इस दौरान इस मंत्र का भी जप कर सकते हैं -

    ‘श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरण समर्पयामि’

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।