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    Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 : एकदंत चतुर्थी पर शुभ योग समेत बन रहे हैं ये 4 संयोग, दूर होंगे सभी कष्ट

    यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मनोवांछित फलों की प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मत है कि एकदंत संकष्टी चतुर्थी करने से साधक को सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही आय सौभाग्य और वैभव में वृद्धि होती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 19 May 2024 03:53 PM (IST)
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    Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 : एकदंत चतुर्थी पर शुभ योग समेत बन रहे हैं ये 4 संयोग

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 Date: हर वर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस वर्ष 26 मई को एकदंत संकष्टी चतुर्थी है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मनोवांछित फलों की प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मत है कि एकदंत संकष्टी चतुर्थी करने से साधक को सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही आय, सौभाग्य और वैभव में वृद्धि होती है। ज्योतिषियों की मानें तो एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर मंगलकारी शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस योग के आलावा, कई अन्य मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। आइए, इन योग के बारे में जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को संध्याकाल 06 बजकर 06 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 27 मई को संध्याकाल 04 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। चतुर्थी तिथि पर चंद्र दर्शन करने का विधान है। अतः 26 मई को ही एकदंत संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।

    शुभ योग

    ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर सबसे पहले साध्य योग का निर्माण हो रहा है। यह योग सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक है। इसके बाद शुभ योग का निर्माण हो रहा है। शुभ योग दिन भर रहेगा। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होंगे।

    भद्रा योग

    एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा का भी शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन भद्रा पाताल में रहेंगी। भद्रा के पाताल में रहने के दौरान पृथ्वी वासी का कल्याण होता है। एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा योग संध्याकाल 06 बजकर 06 मिनट तक है। इस दौरान भी भगवान गणेश की पूजा-उपासना करते हैं।

    शिव वास

    ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर शिववास का भी योग बन रहा है। इस योग का निर्माण प्रदोष काल में हो रहा है। इस समय में भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।