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    Ekadashi October 2025: अक्टूबर महीने में कब-कब है एकादशी व्रत? यहां जानें तिथि और पूजा विधि

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 02:09 PM (IST)

    एकादशी व्रत का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। हर महीने दो एकादशी आती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और विष्णु जी की पूजा करते हैं। अक्टूबर महीने में कब-कब है एकादशी व्रत (Ekadashi October 2025) रखा जाएगा? आइए यहां जानते हैं।

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    Ekadashi October 2025: एकादशी व्रत का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी व्रत का सनातन धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। हर माह दो एकादशी पड़ती हैं। पहला एकादशी व्रत कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में रखा जाता है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भक्त उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि अक्टूबर महीने में कब-कब है एकादशी व्रत (Ekadashi October 2025) रखा जाएगा?

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    पापांकुशा एकादशी कब है? (Papankusha Ekadashi 2025 Date And Time)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, 02 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 10 मिनट पर आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 03 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल 03 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

    रमा एकादशी कब है? (Rama Ekadashi 2025 Date And Time)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 16 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 12 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए रमा एकादशी का व्रत 17 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी।

    पूजा विधि (Ekadashi October 2025 Puja Rituals)

    • सुबह जल्दी उठें और स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
    • पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं।
    • इसके बाद उन्हें तुलसी दल, पीले फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
    • विष्णु सहस्रनाम और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
    • भगवान विष्णु के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
    • अंत में आरती करें।
    • पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगे।
    • इस दिन चावल का सेवन गलती से नहीं करना चाहिए।
    • इस दिन तामसिक चीजों से परहेज करना चाहिए।
    • इस दिन किसी के बारे में बुरा बोलने से बचें।

    पूजन मंत्र 

    • दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

  • ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
  • ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्||
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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।